हमारी नातिन बड़ी सफ़ाई पसन्द है .
एक बार की बात है मेरा कंघा नहीं मिल रहा था.
वह बोली,'नानी मेरा ले लीजिये .'
'ढूँढ रही हूँ.अभी मिल जायेगा,जायेगा कहाँ !'
' मुझे पता है आप किसी के कंघे से बाल नहीं काढतीं .मेरा बिल्कुल साफ़ रखा है .आपने उस दिन ब्रश से साफ़ किया था ,तब से वैसा ही रखा है. '
'क्यों तुम उससे बाल नहीं काढ़तीं ?'
'मैं तो मम्मी के से काढ़ लेती हूँ , मेरा कंघा हमेशा बिल्कुल साफ़ रखा रहता है.'
सुन कर मैं तो हक्की-बक्की. आगे कुछ सूझा ही नहीं.
अब आप देख लीजिये -
ऐसी होती है सफ़ाई !
*
हां इसे कहते हैं सफ़ाई :)
जवाब देंहटाएंजी नमस्ते ,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (२१-११-२०२०) को 'प्रारब्ध और पुरुषार्थ'(चर्चा अंक- ३८९८) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है
--
अनीता सैनी
आभार, अनीता जी.
हटाएंये इंस्टेंट जवाब आज कल हर घर में मौजूद होता है प्रतिभा जी...
जवाब देंहटाएंसफाई रखने का लाजवाब तरीका
जवाब देंहटाएंवाह!!!
जवाब देंहटाएंसही कहा आपने अपना कंघा साफ रखना है मम्मी के कंघे को यूज किया...।
सफाई का नया तरीका।
Nice BLOg And Great Content thank
जवाब देंहटाएंसुन्दर रचना, निःसंदेह आज की पीढ़ी सफ़ाई पसंद है - - नमन सह।
जवाब देंहटाएंचतुराई भरा सफाई का तरीका बेहद पसंद आया.. सुन्दर सृजन.
जवाब देंहटाएंवाह! इस मासूमियत पर मन मोह गया।
जवाब देंहटाएंसुंदर।
इसे कहते हैं प्रेम
जवाब देंहटाएंएक बार जो सफाई हुई तो उसे यादगार बना कर रख लिया
सुंदर
इतनी सफाई! बहुत बढ़िया । हँसी नहीं रुक रही ।
जवाब देंहटाएं