*
हमें अपने भारतीय होने पर गर्व है !
लेकिन काहे पर ?
सब को पता तो चलें हमारी ख़ूबियाँ जिन्हें हम सिर उठा कर गिना दें , अपने भारतीयता के एहसास को और हवा दें !
कहीं पसोपेश में न पड़ना पड़े इसलिये लगे हाथ हिसाब करते चलें सारे प्लस और माइनस प्वाइंट्स का !
शर्त बस इतनी कि वर्तमान की बात करें .हम ऐसे थे ,हम वैसे थे यह हाँकने से क्या लाभ ?जब थे तब थे ,देखना तो यह है कि अब क्या हैं और किस ओर जा रहे हैं ! प्राचीन संस्कृति की बात उन्हें नहीं शोभती , जिन्हें हिन्दी महीनों के नाम नहीं पता , गिनती करते समय हिन्दी के अड़तालीस-अट्ठावन ,उनसठ.उन्हत्तर आदि सुनते ही छक्के छूटने लगें . और भी कहाँ तक बखाने, हिन्दी की वर्णमाला का सही क्रम भी पता न हो जिन्हें !
ये जोड़-घटा वाले हिसाब पहले आपस में कर लें ,संभव है कुछ सफलता हाथ लगे और हम सामूहिक रूप से अपने पर गर्व कर सकें !
यहाँ अमेरिका में मैंने देखा है कि पाकिस्तानी रेस्त्राओँ में कभी अकेला पाकिस्तान नाम नहीं होता ,इंडिया का नाम जोड़े बिना उन्हें लगता है, सरे बाज़ार लँगड़ाने लग जाएँगे .और यह भी , कि लोगों को अपनी सही पहचान बताने में संकोच होता है .परिचय में अपनी असलियत छिपा कर खुद को हिन्दुस्तान से आया बताते हैं , अगर बाद में पता लग भी जाए तो सफ़ाई यह , कि बाबा तो हिन्दोस्तान में ही रहे थे ( 'भारत' से उन्हें परहेज़ है ,हिन्दोस्तान या इंडिया का प्रयोग करते हैं , हमारी सरकार ने इसीलिेए ये नाम रख छोड़े हैं.) शताब्दियों पहले के अपने पुरखों को पहचाने भी या ख़ुद को कहीं और की उपज बता दें तो कोई क्या कर लेगा उनका . यह उनकी समस्या है वे जाने ,पर चेत हमें भी जाना चाहिये !
हाँ , बात है अपनी ख़ूबियाँ गिनाने की , तो समझ में नहीं आ रहा कि कहाँ से चालू करें - शुरूआत कराने की कृपा करे कोई, तो क्रम आगे बढ़ता चले !
सहायता की अपेक्षा सभी से !
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हमें अपने भारतीय होने पर गर्व है !
लेकिन काहे पर ?
सब को पता तो चलें हमारी ख़ूबियाँ जिन्हें हम सिर उठा कर गिना दें , अपने भारतीयता के एहसास को और हवा दें !
कहीं पसोपेश में न पड़ना पड़े इसलिये लगे हाथ हिसाब करते चलें सारे प्लस और माइनस प्वाइंट्स का !
शर्त बस इतनी कि वर्तमान की बात करें .हम ऐसे थे ,हम वैसे थे यह हाँकने से क्या लाभ ?जब थे तब थे ,देखना तो यह है कि अब क्या हैं और किस ओर जा रहे हैं ! प्राचीन संस्कृति की बात उन्हें नहीं शोभती , जिन्हें हिन्दी महीनों के नाम नहीं पता , गिनती करते समय हिन्दी के अड़तालीस-अट्ठावन ,उनसठ.उन्हत्तर आदि सुनते ही छक्के छूटने लगें . और भी कहाँ तक बखाने, हिन्दी की वर्णमाला का सही क्रम भी पता न हो जिन्हें !
ये जोड़-घटा वाले हिसाब पहले आपस में कर लें ,संभव है कुछ सफलता हाथ लगे और हम सामूहिक रूप से अपने पर गर्व कर सकें !
यहाँ अमेरिका में मैंने देखा है कि पाकिस्तानी रेस्त्राओँ में कभी अकेला पाकिस्तान नाम नहीं होता ,इंडिया का नाम जोड़े बिना उन्हें लगता है, सरे बाज़ार लँगड़ाने लग जाएँगे .और यह भी , कि लोगों को अपनी सही पहचान बताने में संकोच होता है .परिचय में अपनी असलियत छिपा कर खुद को हिन्दुस्तान से आया बताते हैं , अगर बाद में पता लग भी जाए तो सफ़ाई यह , कि बाबा तो हिन्दोस्तान में ही रहे थे ( 'भारत' से उन्हें परहेज़ है ,हिन्दोस्तान या इंडिया का प्रयोग करते हैं , हमारी सरकार ने इसीलिेए ये नाम रख छोड़े हैं.) शताब्दियों पहले के अपने पुरखों को पहचाने भी या ख़ुद को कहीं और की उपज बता दें तो कोई क्या कर लेगा उनका . यह उनकी समस्या है वे जाने ,पर चेत हमें भी जाना चाहिये !
हाँ , बात है अपनी ख़ूबियाँ गिनाने की , तो समझ में नहीं आ रहा कि कहाँ से चालू करें - शुरूआत कराने की कृपा करे कोई, तो क्रम आगे बढ़ता चले !
सहायता की अपेक्षा सभी से !
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