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कई वर्ष मुज़फ़्फ़रनगर में रही थी.
जब वहाँ से चलना पड़ा तो चिट्ठी-पत्री के लिये अपनी मित्र से उनके घर का डाक का पता पूछा . घर तो कई बार गई थी , बाहर के पत्थर पर निवास के नाम का अंकन भी देखा था -पर कभी गौर नहीं किया ,ज़रूरत नहीं समझी कि देख कर ठीक से पढ़ लूँ. सोचा भी नहीं था कि कभी इस पर भी कोई कौतुक खड़ा हो जाएगा .
अपना नाम और मोहल्ला बता कर निवास का नाम 'हरमीत बिल्ला' लिखाया उन्होंने .एक से एक अजीब नाम सुने हैं ,लड़कियों का नाम बिल्लो भी सुना है .अपने को क्या अंतर पड़ता है ,सोचा मैंने .किसी के नाम पर होगा , हरमीत नाम और बिल्ला सरनेम-निकनेम .जो भी हो .
फिर एक बार मेरी मित्र के पत्र में उनका पता अंग्रेज़ी में लिखा आया , निवास का नाम लिखा था - 'Hermit Villa', .मेरे तो ज्ञान-चक्षु खुल गये .अंग्रेज़ी के हिन्दीकरण का ऐसा प्रभावी रूप आज तक नहीं देखा था. यों भी देखा जाय तो अंग्रेज़ी में जो अक्षर लिखे गए उनका मुखर होना ज़रूरी नहीं ,लिखते कुछ हैं ,बोलते कुछ .और हिन्दी - लोक-भाषा में अक्सर ही व का ब (कहीं-कहीं भ भी -यूनिवर्सिटी को यूनिभर्सिटी ,सुना होगा आपने भी )हो जाता है . यह तो स्थानीय जनता के द्वारा सहज-सरल रूपान्तरण है ,वह भी कितना सार्थक !अनायास चल पड़ा और बिना किसी विवाद के शिरोधार्य कर लिया सब ने .यह है असली जनता-जनार्दन की आवाज़ ! पोस्ट आफ़िस वालों ने भी माना ,तभी तो डाक सही जगह पहुँचती है .
कभी आप मुज़फ़्फ़र नगर जायँ, तो आर्यकन्यापाठशाला इन्टर कॉलेज से थोड़ी दूर एक भवन मिल जायेगा जिसके द्वार के निकट एक प्रस्तर-शिला पर अंग्रेज़ी में अच्छे खासे अक्षरों में अंकित है - Hermit Villa ,अंग्रेज़ों के ज़माने का मज़बूत निर्माण है .अभी भी शायद वैसा ही खड़ा हो. वहाँ की बोली में किसी भाषा के शब्दों को अपने ढर्रे में ढाल लेने की अद्भुत क्षमता पाई है मैंने .बहुत से उदाहरण हैं जिनमें से एक यह - हरमीत बिल्ला !
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कई वर्ष मुज़फ़्फ़रनगर में रही थी.
जब वहाँ से चलना पड़ा तो चिट्ठी-पत्री के लिये अपनी मित्र से उनके घर का डाक का पता पूछा . घर तो कई बार गई थी , बाहर के पत्थर पर निवास के नाम का अंकन भी देखा था -पर कभी गौर नहीं किया ,ज़रूरत नहीं समझी कि देख कर ठीक से पढ़ लूँ. सोचा भी नहीं था कि कभी इस पर भी कोई कौतुक खड़ा हो जाएगा .
अपना नाम और मोहल्ला बता कर निवास का नाम 'हरमीत बिल्ला' लिखाया उन्होंने .एक से एक अजीब नाम सुने हैं ,लड़कियों का नाम बिल्लो भी सुना है .अपने को क्या अंतर पड़ता है ,सोचा मैंने .किसी के नाम पर होगा , हरमीत नाम और बिल्ला सरनेम-निकनेम .जो भी हो .
फिर एक बार मेरी मित्र के पत्र में उनका पता अंग्रेज़ी में लिखा आया , निवास का नाम लिखा था - 'Hermit Villa', .मेरे तो ज्ञान-चक्षु खुल गये .अंग्रेज़ी के हिन्दीकरण का ऐसा प्रभावी रूप आज तक नहीं देखा था. यों भी देखा जाय तो अंग्रेज़ी में जो अक्षर लिखे गए उनका मुखर होना ज़रूरी नहीं ,लिखते कुछ हैं ,बोलते कुछ .और हिन्दी - लोक-भाषा में अक्सर ही व का ब (कहीं-कहीं भ भी -यूनिवर्सिटी को यूनिभर्सिटी ,सुना होगा आपने भी )हो जाता है . यह तो स्थानीय जनता के द्वारा सहज-सरल रूपान्तरण है ,वह भी कितना सार्थक !अनायास चल पड़ा और बिना किसी विवाद के शिरोधार्य कर लिया सब ने .यह है असली जनता-जनार्दन की आवाज़ ! पोस्ट आफ़िस वालों ने भी माना ,तभी तो डाक सही जगह पहुँचती है .
कभी आप मुज़फ़्फ़र नगर जायँ, तो आर्यकन्यापाठशाला इन्टर कॉलेज से थोड़ी दूर एक भवन मिल जायेगा जिसके द्वार के निकट एक प्रस्तर-शिला पर अंग्रेज़ी में अच्छे खासे अक्षरों में अंकित है - Hermit Villa ,अंग्रेज़ों के ज़माने का मज़बूत निर्माण है .अभी भी शायद वैसा ही खड़ा हो. वहाँ की बोली में किसी भाषा के शब्दों को अपने ढर्रे में ढाल लेने की अद्भुत क्षमता पाई है मैंने .बहुत से उदाहरण हैं जिनमें से एक यह - हरमीत बिल्ला !
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