बुधवार, 2 जनवरी 2013

ब्लागर मित्रों से निवेदन ,


ब्लागर मित्रों ,
चेत जाइये !पत्रों-पत्रिकाओं में बिना रचयिता की अनुमति के जो रचनाएं ब्लागों से ले कर छाप ली जाती हैं उससे आप उपकृत नहीं ,उन्हें उपकृत होना चाहिये .
हमारा लेखन इतना सस्ता नहीं कि कोई भी अपना माल समझ कर बिना पूछे-बताये ,जैसे चाहे उसका उपयोग करता रहे.आपकी पूर्व अनुमति के बिना रचना प्रकाशित करना ,चोरी ही कहलाएगी .
 अधिकांश पत्रकार पत्रकारिता के मिशन के विपरीत आचरण करनेवाले हैं.अपने कारनामों पर लीपा-पोती करना भी उन्हें खूब आता है.हम सब मिल कर ही इस स्थिति पर काबू पा सकते हैं . 

इसके लिये हम सब सावधान हो जाएँ  

जहाँ किसी पत्र-पत्रिका में किसी ब्लागर की रचना देखें ,तुरंत उसकी सूचना दें .चाहे नाम पता दिया हो तो भी.अक्सर लेखक को पता ही नहीं चलता कि उसका माल कहाँ से कहाँ पहुँच गया .ब्लागरों  की पहुँच  का क्षेत्र बहुत व्यापक है .इस प्रकार अधिकतर ऐसे मामले सामने आ जायेंगे .

किसी को इस पर कोई भी आपत्ति हो तो कृपा कर सामने रखे ,जिससे कि बात पूरी तरह स्पष्ट हो सके .
आशा करती हूँ मेरे निवेदन पर विचार करेंगे और इस पर अपने विचार देंगे.
 सारे ब्लाग-जगत को नव-वर्ष की शुभकामनाएँ !
- प्रतिभा सक्सेना.

16 टिप्‍पणियां:

  1. यह बात बिल्‍कुल सत्‍य है कि उन्‍हें उपकृत होना चाहिए। देश में ऐसी हजारों पत्रिकाएं हैं जो केवल सौजन्‍य से ही रचनाएं लेती हैं। सभी ने अपना अधिकार मान लिया है। प्रत्‍येक व्‍यक्ति न जाने कितने शेर और कितनी कविताएं अपने मंचों पर पढ़ जाते हैं, वे भी रचनाकार के बिना नाम लिए। यह एक गम्‍भीर समस्‍या है, इसका कोई क्‍या करे?

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  2. सहमत हूं आपसे ...बिल्कुल सही कहा आपने ....

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  3. i have already raised my voice long back and no articles from naari blog are published any where without prior permission

    u need contact the editor and then the owner of the paper and tell them

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  4. बिलकुल सत्य व् एकदम सही बहुत सही बात कही है आपने .सार्थक भावनात्मक अभिव्यक्ति मरम्मत करनी है कसकर दरिन्दे हर शैतान की #

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  5. पर करेँ क्या .. लो जी ये भी कोई बात हुई S बता तो दिये SS कौन बताएँ

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  6. कुछ पत्र अथवा पत्रिकाएं तो प्रकाशित ही हिंदी ब्‍लॉगरों की रचनाओं के बूते हो रही हैं।

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  7. नव वर्ष शुभ और मंगलमय हो |
    आपकी बात में कुछ है जो विचारणीय है |लोग तो ब्लॉगर्स को नगण्य समझते हैं और साहित्य से बहुत दूर मानते हैं |
    आशा

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  8. इसके लिए सबसे पहला काम तो यह किया जाना चाहिए कि जो भी ब्‍लागीया इससे सहमत है, वह अपने-अपने ब्‍लॉग पर इस आशय की स्‍पष्‍ट चेतावनी अपने-अपने ब्‍लॉग पर लगाए।

    मेरा अनुभव तनिक हटकर है। अधिकांश अखबारवाले मुझसे फोन पर अनुमति ले रहे हैं और मेरे कहने पर तत्‍सम्‍बन्धित अंक की सौजन्‍य प्रति मुझे पहुँचा रहे हैं।

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  9. Jude hmare sath apni kavita ko online profile bnake logo ke beech share kre
    Pub Dials aur agr aap book publish krana chahte hai aaj hi hmare publishing consultant se baat krein Online Book Publishers

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