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अक्सर लोग मुझसे पूछते हैं- आपकी तारीफ़ ?
भला कोई अपने मुँह से अपनी तारीफ़ करता है?
अब क्या-क्या कहूँ अपने बारे में, मुझे तो शरम आती है.
फिर भी बताना तो पड़ेगा ही .लेकिन तारीफ़ नहीं ,असलियत ही कुबूलूँगा.
हाँ, मैं हरफ़नमौला आदमी हूँ .बहुत काम कर-कर के छोड़ चुका . कुछ पढ़ाकू किस्म का भी रहा .अपने आप अनुभव करने में विश्वास है मेरा .कही-सुनी बातें दिमाग से निकल जाती है .ख़ुद करके देखना मुझे ठीक लगता है.
इन्टरनेट का ज़माना है . जानकारी के समुद्र भरे पड़े हैं, ऊपर से लोगों के अपने वक्तव्य भी .व्यक्ति के अनुभव व्यक्तिगत न रह कर उनका सामाजीकरण होता जा रहा है.दुनिया भर के तमाम जानकारियाँ हम एक क्लिक में पा सकते हैं.स्वास्थ्य अच्छा रखने के लिये एक से एक पते की बातें तुरंत सामने.राजीव दीक्षित जी से लेकर पड़ोस के जगमोहन जी के टिप्स तक
सुबह खजूर खाने के फ़ायदों के विषय में मैंने कंप्यूटर पर पढ़ा तभी खजूरो से संबंधित खूब जानकारी खोजी और प्रभावित हुआ .कितने प्रकार के होते हैं किसकी क्या ख़ूबी है ,कहाँ के अधिक फ़यदेमंद हैं .पता चला आपको बहुत एनर्जी देते हैं खजूर ,तभी तो रोज़े के पहले इसे ही खाकर शुरुआत करते हैं लोग.और फ़ायदों का तो कुछ पूछिये मत पूरी लिस्ट की लिस्ट है.काफ़ी-कुछ कापी करके रख भी ली है.
और रोज सुबह दो खजूर खाने लगा .
फिर किसी जानकार ने अंजीर के गुण गिनाए.पढ़ा उसके बारे में भी और मैनै अंजीर खाना शुरू कर दिया था.रोज़ दो अंजीर ,रात को भिगो कर सुबह खाली पेट .कभी दूध में डाल कर भी कम फ़ायदेमंद नहीं . हर तरह का फ़ायदा पाना पाना चाहता हूँ न .कितने दिन खाया यह तो ठीक से याद नहीं ,हो सकता है
3-4 महीने खाया हो -अभी भी एक पैकेट पड़ा है मेरे पास.क्योंकि फिर अमरूद के फ़ायदे सामने आ गये .बड़े विस्तार से लिखा गया था. इतना सस्ता फल और सेव से बढ़ कर गुणी.
अमरूद
पूरे मौसम खाती रही
लेकिन जब फ़सल के दिन पूरे होने लगे ,एकाध बार फलों में कीड़े दिखाई दे गये ,देख कर पहचान में ही नहीं आते कि अंदर कीड़े भरे हैं मीठे भी ख़ूब थे.पर फल के अन्दर कुलबुलाते दिखाई दिये तो मेरा तो जी घिना गया .
इससे तो भुने चने अच्छे . किसी गुणज्ञ ने आत्मानुभव के आधार पर खूब वाहवाही की थी .वह भी खूब खाये मैंने.
एक चीज खाता हूँ मन भर जाता है तो दूसरी का लग्गा लगता है ,कोई डाक्टर ने तो कहा नहीं कि खाओ तो खाते चले जाओ.,आखिर को इतनी चीज़े हैं दुनिया में एक से एक बढ़ कर .हरेक का अपना फ़ायदा. और शरीर को सभी तत्व चाहिये. फिर एक पर ही क्यों अटके रहें हम?
इसी क्रम में सेव,आँवला,हल्दी अजवाइन मेथी ,ज़ीरा और जाने क्या-क्या खा -खा कर छोड़ दिये
सारी चीज़ेों के नाम भी अब तो याद नहीं ,कौन-सी कित्ते दिन खाई यह भी याद नहीं. कहाँ तक याद रखे कोई .
पर लिस्टें मेरे पास बहुत -सी चीज़ो के लाभों की हैं और उनके बारे में पूरी जानकारी भी .किसी को चाहिये तो बताए. मिलेगा सब इंटर नेट पर परह बिखरा-बिखरा ,अलग-अलग ढूँढते फिरो ,मैंने एक जगह इकट्ठी कर रखी है .जिसमें सबका भला हो .
"अपना स्वास्थ्य बनाओ,लोगों ,दुनिया भर के अनुभव पाओ . इन्टरनेट का लाभ उठाओ !"
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आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (20-05-2018) को "वो ही अधिक अमीर" (चर्चा अंक-2976) (चर्चा अंक-2969) पर भी होगी।
जवाब देंहटाएं--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
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मातृ दिवस की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
अपने अनभुव से जो ज्ञान मिलता है वह अन्यत्र नहीं मिल सकता
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति
प्रणाम
जवाब देंहटाएंएक अरसे के बाद इधर आना हुआ। आपके ब्लॉग पर वही प्राचीन काल का टेम्पलेट लगा है। कुछ भी नहीं बदला। :) शुभकामनाएं।
जवाब देंहटाएंजानिए क्या है बस्तर का सल्फ़ी लंदा
ललित जी,यहाँ आकर अपन् विचार एवं शुभ कामनाएँ व्यक्त करने हेतु धन्यवाद.
हटाएंइसकी टेक्नीक के बारे में कुछ सीखने की कोशिश करूँगी जिससे कि नया रूप दे सकूँ.
रोचक अंदाज ! आयुर्वेद में तो कहा गया है, इस जगत में हर वनस्पति किसी न किसी औषधीय गुण से भरी हुई है..
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