रविवार, 9 दिसंबर 2012

वाह रे कंप्यूटर !

*
  कल्पना भी नहीं थी कि कंप्यूटर जैसी चीज़ का कभी प्रयोग करूँगी .लिखने-पढ़ने के मामले में अपना हाथ जगन्नाथ लगता था .लेकिन यह भी यह सच है कि नहीं सीखा होता तो बहुत-कुछ से वंचित रह जाती .जितना लिख लेती हूँ उतने का तो सोच भी नहीं सकती थी .
बेटा भारत से बाहर चला गया था .
 हम दोनों अक्सर ही उसके पास जाते थे.
 रिटायर होने पर उसने कहा,' आप कंप्यूटर सीख लीजिये.वैसे यहाँ आप बोर हो जाती हैं.'
सब को उस पर काम करते देखती थी,उत्सुकता जागी, ' अच्छा देखती हूँ '.
 फ़ुर्सत में थी ही .ज्वाइन कर ली क्लास .
पर  वे जाने क्या-क्या सिखा रहे हैं -डायरेक्ट्री- फ़ाइल्-ट्री ,इधर का इधर , आदि .
उसे बताया तो बोला ,'उससे आपको कोई मतलब नहीं .छोड़िये मैं बता दूँगा .'

पहली मुश्किल - हाथ रखते ही  फर्र्र से तीर की नोंक इधऱ से उधर पहुँच जाय,
हार कर मैने कहा ,'यह चूहा एकदम भागता है मेरे बस में नहीं आता.'
वह चिल्लाया ,'मम्मी फिर चूहा .,चूहा नहीं माउस है वह,माउस कहिये.'
'क्यों माउस मानेई तो चूहा ,और क्या कहें इसे ?'
'नहीं बस ,माउस कहिये .'
क्यों, हिन्दी में बोलना मना है?.
मैने सिखाया था माउस माने चूहा और आज ये उलटी पट्टी पढ़ा रहा है.

अगली परेशानी, देखो , ज़रा सी उँगली बहकी तो फिर एक खिड़की खुल गई .'.
फिर वही टोकना उसका - वह विंडो है, खिड़की मत कहो .
मुझे तो याद ही नहीं रहता एकदम हिन्दी हो जाती है.
वह टोकता है तो मुझे हँसी आती है .इसने मुझे कितना झिंकाया था अंग्रेजी याद करने में !
मेरे आगे तो ढेर लगा है- कैरेक्टर, एपल, बुकमार्क,बाइट,कैश मेमरी ,सर्वर, बिट,की ,मानिटर, स्पैम,कुकी और जाने क्य-क्या.जो पढ़े भी हैं उनके अर्थ सब बदले हुये!
जहाँ मैने पुराना अर्थ बोला वह चीखता है ,'आप सुनती क्यों नहीं ...'
'फिर वही कहा , कर्सर है वह तीर नहीं .'
अब मैं उसे ठीक करूँ कि ख़ुद को !

लो ,अब उसमें टेबलेट और जुड़ गया
'आपको टेबलेट चाहिये बहुत हल्की है?'
 मुझे लगा इस सब गड़बड़ के ,बीच(नॉर्मल रहने को ) गोली लेनी पड़ती होगी .
हे भगवान !
ये बात तो है- इन लोगों के दिमाग़ गुठला गए हैं ,एकदम कुंठित ! याददाश्त ज़ीरो.  
ज़रा-सा गुणा-भाग हो, दौड़ते हैं- कहाँ केलकुलेटर? कहाँ,कंप्यूर?
जो गिनती-पहाड़े ज़बान पे रखे थे, सब चौपट !

पर टेबलेट तो कुछ और ही करिश्मा निकला !
समझ में नहीं आता कहाँ अंग्रेज़ी चलेगी  ,कहाँ हिन्दी .
ख़ैर जो हुआ सो हुआ. उसने मुझे इतना कंप्यूटर  सिखा दिया कि मैं लिख पढ़ लेती हूँ और भी कई काम कर लेती हूँ !
इतना पढ़ने को मिल जाता है और लिखने को भी कि और कुछ सीखने का अवकाश ही नहीं  .बहुत आसान हो गया है अब सब कुछ.
 यह नहीं होता तो मेरी तो  बड़ी मुश्किल हो जाती .
वैसे मुझे आता-जाता कोई खास नहीं, और ऊपर से यह विचित्र ग्लासरी ! गड़बड़ कर जाती हूँ हमेशा.अपना बहुत तैयार माल उड़ा चुकी हूँ इस के चक्कर में.
चलो, जित्ता सीख लिया ,काफ़ी है मेरे लिये!
*
 - प्रतिभा सक्सेना.

29 टिप्‍पणियां:

  1. हा हा हा ...अरे फ़िक्र मत कीजिये ..हिंदी हो या अंग्रेजी ये कम्प्यूटर सब समझता है..ये भी हम ब्लोगरों से डरता है :):).

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  2. इसको सीखने के बाद बहुत काम आसान हो जाता है। बढिया है संस्‍मरण।

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  3. बहुत बढ़िया जी , बहुत मज़ा आया पढ़ कर ...मुझे भी मेरे छोटे बेटे ने ही कम्प्यूटर चलाना सिखाया ...अब भी जब आता है तो एक नयी चीज़ सिखा जाता है ....

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  4. आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल मंगलवार (11-12-2012) के चर्चा मंच पर भी होगी!
    सूचनार्थ!

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  5. :) बेहद रोचक ... इसकी आसानी तो सीखने के बाद ही पता चलती है
    अच्‍छा लगा इसे पढ़कर

    सादर

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  6. वाह ,,, बहुत उम्दा,
    मेरा तो कम्प्यूटर के बहाने टी०वी० से मोह भंग हो गया,,,,

    recent post: रूप संवारा नहीं,,,

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  7. arey baba honth apne aakar par vaspis nahi aa rahe....ye kya kya likh dala.....hanste hanste pait me bal pad rahe hain....aur mushkil ye ki jahan baith apki post padh aanand le rahi hun vahan khul k hans bhi nahi sakti. ab to pait me dard hone laga.....bhai itne shabd to mujhe bhi nahi pata computer ke...glasry,kuki,bit,kaish,bite etc....ha.ha.ha.

    nice sharing.

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  8. टेबलेट ने बहुत हँसाया ... मैंने भी कंप्यूटर हिट और ट्रायल से ही सीखा है ....जितना आता है काफी है ... वैसे बेचारा चूहा नहीं भागता ....एक जगह बैठा बैठा तीर भगाता रहता है ...मैं तो अभी तक लैपटाप पर काम नहीं कर पाती ... उंगली नहीं चलतीं और कर्सर इधर उधर भाग जाता है .... कभी करना भी पड़ता है काम लैपटाप पर तो पहले चूहा ही पकड़ती हूँ :):)

    बहुत रोचक प्रस्तुति ....

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  9. बहुत मज़ा आया पढ़ कर.वाह . बहुत उम्दा,

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  10. शकुन्तला बहादुर11 दिसंबर 2012 को 10:46 pm बजे

    भई,वाह! आपके अनुभव ने मेरी अपनी यादों को जगा दिया,जब बेटे से बार बार न पूछना पड़े,इसलिये स्टेप बाई स्टेप कागज़ पर नोट करके अभ्यास किया था।पढ़कर मज़ा आय़ा। कभी नाव पानी में थी फिर पानी नाव में आ गया।जिस बेटे को हाथ पकड़ कर आपने आगे बढ़ना सिखाया था,उसी ने आपका हाथ पकड़ कर आपको आगे बढ़ना सिखाया। दुनिया में ऐसा ही होता है। साधुवाद !!

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  11. प्रतिभा जी आपकी यादों को पढ़ कर बड़ा मजा आया और बड़ी खुशी हुई की आखिर आज आपने सीख ही लिया और हमसे अपने विचार साँझा कर रहे हो।

    मेरी नयी पोस्ट पर आपका स्वागत है बेतुकी खुशियाँ

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  12. बहुत रोचक .....वाकई बहुत कुछ दिया है इस कंप्यूटर ने ...

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  13. कम्प्यूटर शब्दावली ,करती रही अधीर
    मूषक माउस बन गया,कर्सर हो गया तीर
    कर्सर हो गया तीर,बनी विंडोज़ खिड़कियाँ
    शुरुवाती उस दौर,हमें भी मिलीं झिड़कियाँ
    हम बन बैठे शिष्य, आज बच्चे हैं ट्यूटर
    रोते - गाते सीख, लिया हमने कम्प्यूटर ||

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  14. बहुत बढ़िया आप भी पधारो http://pankajkrsah.blogspot.com
    स्वागत है

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  15. आज की तकनीक के सकारात्मक और नकारात्मक प्रभाव पर मज़ेदार आलेख।

    सादर

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  16. बढ़िया, रोचक आलेख।
    कम्प्यूटर शब्दावली का अच्छा विश्लेषण किया है आपने।

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  17. रोचक शैली,प्यारा संस्मरण। एक पीढ़ी की व्यथा कथा।

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  18. चिंता छोड़ें निश्चिन्त हो उपयोग करें ! कमोबेश हम सब की हालत ऐसी ही होती है ! पर जड़मति सुजान हो ही जाते हैं ! अभी भी वर्षों के संबंध के बावजूद निगोड़ा ठिठोली कर जाता है ! कुछ का कुछ दबवा लेता है और फिर बिसूरता हुआ हमारा मुंह देखता रहता है

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  19. अलग-थलग दुनिया में जीने से अच्छा समय के साथ चलो और बदलो

    बहुत अच्छी रोचक प्रस्तुति

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  20. बहुत ही सहज सरल और रोचकता से भरपूर लेखन ...

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  21. चूहा, खिड़की , तीर ....बहुत मजेदार...अपने दिन याद आ गए 👌😄

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  22. चूहा, खिड़की , तीर ....बहुत मजेदार...अपने दिन याद आ गए 👌😄

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  23. चूहा, खिड़की , तीर ....बहुत मजेदार...अपने दिन याद आ गए 👌😄

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  24. चूहा, खिड़की , तीर ....बहुत मजेदार...अपने दिन याद आ गए 👌😄

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