शनिवार, 8 जून 2013

चैलेञ्ज का नतीजा .


आज मैंने एक समाचार पढ़ा - लोक-प्रिय के अंतर्गत .पढ़ कर मुझे बड़ी खुशी हुई .लोग महिलाओं को कमज़ोर आदि जाने क्या-क्या समझते हैं .खतरनाक और हिम्मतवाले कामों पर अब तक  अपना एकाधिकार समझ रखा था पुरुषों ने.

लीजिये, पढ़िए पूरी ख़बर -

महिलाओं ने फैक्ट्री की दीवार फाँद उड़ाया सामान .
(है न हिम्मत का काम !)
 लुधियाना .शिकायतकर्ता जोगिंदर सिंह ने बताया कि 30 मई को अपनी लोहे की फ़ैक्ट्री फैक्ट्री बंद करने के बाद घर चला गया. इसी दौरान कुछ अज्ञात महिलाएं फैक्ट्री की दीवार फाँद कर अंदर आई और अंदर से 15 क्विंटल लोहे का सामान चोरी कर फरार हो गईं. इसकी कीमत 75 हजार रुपये हैं। 31 मई सुबह जब जोगिंदर ने फैक्ट्री में आकर देखा, तो अंदर से सारा सामान गायब था.पड़ोस में रहने वाले व्यक्ति ने बताया कि उसने फैक्ट्री में से कुछ महिलाएँ सामान ले जाते देखी थीं.
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दीवार फाँदना कोई आसान काम है क्या ? पर हो गई शुरुआत. आज एक फाँदी है कल को दूसरी दीवारें फाँदेंगी .हर तरह की दीवारें .
हमेशा चैलेंज देते रहते हैं आदमी ,मनमाना आचार-व्यवहार  उन्हें लगता है अपना अधिकार .अब  देख लो नतीजा.अगर तुल जाएँ तो क्या नहीं कर सकतीं महिलाएँ !
  हिकारत से मत देखो उन्हें ,ज्यादा मीन-मेख मत निकालो. सहज रूप से रहने दो .नहीं तो पछताओगे बैठ कर.
वैसे एक अनुमान और है किसी महिला के पति को पुलिस पकड़ ले गई होगी .अब छुड़ाने को रिश्वत माँग रहे हैं .पति ने कहलवाया कहीं से इंतज़ाम करो नहीं तो मैं बेमौत मारा जाऊँगा .
क्या करती बेचारी ?आपस में सलाह कर  डट कर लोहा लिया .मजबूरी रही होगी सो काँटे से काँटा निकाल लिया . 

6 टिप्‍पणियां:

  1. ऊर्जा तो बहुत है लेकिन हौसला नहीं होने से स्‍वयं को शोषित मानकर बैठी हैं।

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  2. sahi kaha pratibha ji mahilayen kahin bhi kisi se peechhe nahi .ye sabit kar diya ek bar fir .

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