गुरुवार, 25 जुलाई 2013

हमें अपने भारतीय होने पर गर्व है !

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हमें अपने भारतीय होने पर गर्व है !

लेकिन काहे पर ? 
सब को पता तो चलें हमारी ख़ूबियाँ जिन्हें हम सिर उठा कर गिना दें  , अपने  भारतीयता के एहसास को और हवा दें !
 कहीं पसोपेश में न पड़ना पड़े इसलिये लगे हाथ हिसाब करते चलें  सारे  प्लस और माइनस प्वाइंट्स का ! 

शर्त बस इतनी कि वर्तमान की बात करें .हम ऐसे थे ,हम वैसे थे यह  हाँकने से क्या लाभ ?जब थे  तब थे  ,देखना तो यह है कि अब क्या हैं और किस ओर जा रहे हैं ! प्राचीन संस्कृति की बात उन्हें नहीं शोभती , जिन्हें हिन्दी महीनों के  नाम नहीं पता , गिनती करते समय हिन्दी के अड़तालीस-अट्ठावन ,उनसठ.उन्हत्तर आदि सुनते ही छक्के छूटने लगें . और भी कहाँ तक बखाने, हिन्दी की वर्णमाला का सही क्रम भी पता न हो जिन्हें !
ये जोड़-घटा वाले हिसाब पहले आपस में कर लें ,संभव है कुछ सफलता हाथ लगे और हम सामूहिक रूप से  अपने पर गर्व कर सकें ! 
यहाँ अमेरिका में मैंने देखा है कि पाकिस्तानी रेस्त्राओँ  में कभी अकेला पाकिस्तान नाम नहीं होता ,इंडिया का नाम जोड़े बिना उन्हें लगता है, सरे बाज़ार लँगड़ाने लग जाएँगे .और  यह भी , कि लोगों को अपनी सही  पहचान बताने में संकोच होता है .परिचय  में  अपनी असलियत छिपा कर  खुद को हिन्दुस्तान से आया  बताते हैं  , अगर बाद में  पता लग भी जाए तो  सफ़ाई यह , कि बाबा तो हिन्दोस्तान में ही रहे थे (  'भारत' से उन्हें परहेज़ है ,हिन्दोस्तान या इंडिया का प्रयोग करते हैं , हमारी सरकार ने इसीलिेए ये नाम रख छोड़े हैं.) शताब्दियों पहले  के अपने पुरखों को पहचाने भी  या ख़ुद  को कहीं और की उपज बता दें तो कोई क्या कर लेगा उनका  . यह उनकी  समस्या है वे जाने ,पर चेत हमें भी जाना चाहिये ! 
हाँ , बात है अपनी ख़ूबियाँ गिनाने की , तो समझ में नहीं आ रहा  कि कहाँ से चालू करें  -  शुरूआत कराने की कृपा करे कोई, तो क्रम आगे बढ़ता चले !
 सहायता की अपेक्षा  सभी से  !
*

21 टिप्‍पणियां:

  1. विचारणीय -
    आभार दीदी-

    हरदम हम हद फाँदते, कब्र पुरानी खोद |
    सामूहिक धिक् धिक् कहें, सामूहिक सामोद |
    सामूहिक सामोद, गोद में जिसकी खेले |
    जीव रहे झट बेंच, बिना दो पापड़ बेले |
    केवल भोग विलास, लाश का निकले दमखम |
    बनते रहे लबार, स्वार्थ अपना ही हरदम ||

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  2. क्या कहूँ ..आपने मुझे भी दुविधा में डाल दिया. यह समस्या यहाँ (यू के ) में भी है. ज्यादातर हिन्दुस्तानी खाना का नाम लेकर चलने वाले रेस्टोरेंट बंगलादेशी और पाकिस्तानी हैं.

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  3. bilkul mere man kee hi bat kah dee aapne .shikha ji to uk kee bat karti hain are yahan to india hi uk ho gaya hai .

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  4. विचारणीय बात कही आपने ....

    आपने जो कहा है वैसा मैंने अमेरिका और कनाडा में भी होते देखा है ........

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  5. बहुत ज्वलंत मुद्दा उठाया है प्रतिभा जी आपने ! सच कहूं तो मैं सुबह ही एक पर एक भडांस निकालने वाला था किन्तु समयाभाव और यह सोचकर कि भड़ांस सुनाये किसको, आप और हम तो समझते है लेकिन जिनको समझाना है क्या वे समझेंगे? मसला बटला हाउस से सम्बंधित था ,अफ़सोस के साथ लिखना पड़ता है कि पहले तो कुछ लोग हैवानियत की हदें पार कर जाते है और फिर अपने दुष्कर्मों को छुपाने के लिए झूठ-पर-झूठ भी बोलते है! जब यह मुठभेड़ हुई थी और एक पुलिस आफिसर शहीद हुआ था तो इन्होने दुनियाभर के परपंच हिन्दू समाज के जयचंदों के साथ मिलकर रचे! उस बतला हाउस को इतना उछाल कि आज ये हालत हैं कि अगर कोई बच्चा आज पढाई पूरी कर नौकरी के लिए निकलता है और उसने अगर पता रिजूमे में बटलाहाउस या आस-पास का दिया हुआ है तो उसे नौकरे नही मिलती! अब ये लोग दूसरों को दोष देने लगते है जबकि हकीकत यह है की विवाद की जड़ में खुद होते है ! और फिर पछताते है !

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  6. अमेरिका में हम भी एक पाकिस्‍तानी रेस्‍ट्रा में खाना खाकर आए थे, यह सोचकर की यह हिन्‍दुस्‍थानी है।

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  7. यही तो है सच्चाई,
    भारत के बिना बात नहीं बनती भाई;-))

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  8. पाकिस्तानियों की सच्चाई तो बता दि और जैसे की अओपने कहा ... भारतीयों के कुछ कहने लायक बहुत सोचने पर भी नहीं सूझता ... सिवाए विरासत के ... जिसपे अब भारतीय खुल के गर्व करने से गुरेज़ करते हैं ... भगवा रंग में न रंग दिए जाएं ...

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  9. पढकर सुकून मिला । बुराइयाँ ढूँढें तो हर जगह मिल जाएंगी । सर्व सम्पन्न कहे जाने वाले अमेरिका जैसे देश में भी । लेकिन हर देश में गर्व के लिये बहुत कुछ होता है । हमारे देश में भी कम नही । और बेशक हमें भारतीय होने पर गर्व है ।

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  10. आपके ब्लॉग को "ब्लॉग - चिठ्ठा" में शामिल कर लिया गया है। सादर …. आभार।।

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  11. निज भाषा उन्नति अहो ,सब उन्नति को मूल ,ङ्

    बिन निज भाषा ज्ञान के मिटे न हिय को शूल।


    १ , २, ३। ४ , ५ ,६ , ७,८,९

    तक की गिनतियाँ आजकल के बच्चों को नहीं आतीं। शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष का ही अर्थ नहीं पता ,संवत और ईसवी सन का रिश्ता नहीं पता तो हिंदी वर्णमाला कहाँ से आयेगी। इनके माँ बाप को भी कहाँ पता होंगी।

    अ ,आ , इ।, ई ,उ ,ऊ ,ए,ऐ ,ओ ,औ,.ड़ ,.. ,ङ्.. अंग ,अह :के शुद्ध रूप लिखवा देखो - ऋ,लिखवा लो

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  12. mages for hindi varnamala - Report images




    hindi varnamala.mp4 - YouTube
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    www.youtube.com/watch?v=tNoxF_D_R-Q‎
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  13. किसी भी राष्ट्र में नागर बोध सिविलिटी नापने का मापदंड यह है वहां महिलाओं का कितना सम्मान होता है आजके भारत में महिलाओं का गर्भ से अपमान शुरू हो जाता है। जहां सभ्यता ही नहीं है वहां संस्कृति का कैसे सोचा जा सकता है। ॐ शान्ति।

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  14. निज भाषा उन्नति अहो ,सब उन्नति को मूल ,

    बिन निज भाषा ज्ञान के मिटे न हिय को शूल।


    १ , २, ३। ४ , ५ ,६ , ७,८,९

    तक की गिनतियाँ आजकल के बच्चों को नहीं आतीं। शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष का ही अर्थ नहीं पता ,संवत और ईसवी सन का रिश्ता नहीं पता तो हिंदी वर्णमाला कहाँ से आयेगी। इनके माँ बाप को भी कहाँ पता होंगी। चंद्र मॉस पर आधारित महीनों के नाम भला कहाँ से मालूम होंगें।

    अ ,आ , इ।, ई ,उ ,ऊ ,ए,ऐ ,ओ ,औ,.ड़ ,.. ,ङ्.. अंग ,अह :के शुद्ध रूप लिखवा देखो - ऋ,लिखवा लो। एक मौखिक परम्परा के तहत हम स्वत : ही सीख गए थे -पूर्णिमा को पूनो ,अमवस्या को मावस कहना ,सावन भादों (श्रावण ,और भाद्र पक्ष को कहना ),अब वह भारत में विलुप्त प्राय: है।

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  15. भारत में नव वर्ष कब शुरू होता है पूछ देखो -विक्रम संवत किसने चलाया यह पूछो ?

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    1. कहने को बहुत कुछ है.
      इस मानसिक प्रदूषण से भारतीयता का कितना अंश बचा रह जाएगा यह भी एक कठिन प्रश्न है.

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  16. बाहर के देशों में पाकिस्तानी हिंदुस्तान का सहारा लेता है और यहाँ उसी डाल को हर वक़्त काटने का प्रयास ।

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