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इंग्लैंड की गद्दी के दावेदार प्रिंस चार्ल्स की रगों में भारतीय रक्त दौड़ रहा है!
एडिनबरा यूनिवर्सिटी के जेनेटिसिस्ट, जिम विल्सन ने विलियम के रिश्तेदारों की लार के नमूनो की जांच कर बात इस बात की पुष्टि की है .
विल्सन के अनुसार डीएनए का R30b प्रकार बहुत दुर्लभ है.अब तक यह सिर्फ 14 लोगों में मिला है. और एक को छोड़कर ये सारे लोग भारतीय हैं. एक नेपाली है. डीएनए रिसर्च से पता चलता है कि प्रिंस विलियम का संबंध ऐंग्लो-इंडियन लोगों से है.
ऐंग्लो-इंडियन समुदाय के ज्यादातर लोग दरअसल अंग्रेजों और चाय बगान की मजदूर औरतों के बीच बने संबंधों की संतानें थीं. या फिर ब्रिटिश सैनिकों के स्थानीय भारतीय महिलाओं से संबंध बनने से ये लोग पैदा हुए. लेकिन इन्हें न अंग्रेजों ने अपनाया और ना ही भारतीयों ने. ऐंग्लो-इंडियन औरतों का चटनी मैरी कहकर मजाक उड़ाया जाता था.ब्रिटेन के अखबार टेलिग्राफ की जून 2013 के अनुसार छह पीढ़ियों पहले विलियम की मां डायना के एक पुरखे ईस्ट इंडिया कंपनी में काम करने वाले स्कॉट मूल के थियोडर फोर्ब्स के संबंध एक घरेलू नौकरानी एलिजा केवार्क से रहे थे.अब तक माना जाता रहा कि केवार्क आर्मेनियाई मूल की थीं और भारत में रह रही थीं .पर वास्तव में वे आर्मेनियाई नहीं भारतीय थीं..1812 इस युगल की एक बेटी हुई थी - कैथरीन .
रिसर्चर बताते हैं कि एलिजा केवार्क की बेटी, कैथरीन स्कॉटलैंड लौट आई थीं. वहां से वह अपनी मां को गुजराती में चिट्ठियां लिखा करती थीं. बाद में उन्होंने आबेरडीन में जेम्स क्रोम्बी से शादी कर ली. उनकी पोती ने बैरन फेरमॉय के मौरिस ब्रूक रोश से शादी की. उनकी पोती प्रिंसेस डायना ने प्रिंस चार्ल्स से शादी की और इस तरह यह रक्त शाही परिवार में शामिल हुआ. अब यह ब्रिटेन के संभावित राजा की रगों में दौड़ रहा है.
¨प्रिंस विलियम के शरीर में भारतीयों में पाये जाने वाले खास तरह के माइटोकांड्रियल डीएनए है। इस डीएनए की खास बात यह है कि यह किसी भी बच्चे को अपनी मां से मिलता है। यह पिता से बच्चे तक नहीं जाता। इसी वजह से यह डीएनए ¨प्रिंस विलियम और ¨प्रिंस हैरी तक ही रहेगा.
( विभिन्न समाचार-सूत्रों से ज्ञात वक्तव्यों पर आधारित .)
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इंग्लैंड की गद्दी के दावेदार प्रिंस चार्ल्स की रगों में भारतीय रक्त दौड़ रहा है!
एडिनबरा यूनिवर्सिटी के जेनेटिसिस्ट, जिम विल्सन ने विलियम के रिश्तेदारों की लार के नमूनो की जांच कर बात इस बात की पुष्टि की है .
विल्सन के अनुसार डीएनए का R30b प्रकार बहुत दुर्लभ है.अब तक यह सिर्फ 14 लोगों में मिला है. और एक को छोड़कर ये सारे लोग भारतीय हैं. एक नेपाली है. डीएनए रिसर्च से पता चलता है कि प्रिंस विलियम का संबंध ऐंग्लो-इंडियन लोगों से है.
ऐंग्लो-इंडियन समुदाय के ज्यादातर लोग दरअसल अंग्रेजों और चाय बगान की मजदूर औरतों के बीच बने संबंधों की संतानें थीं. या फिर ब्रिटिश सैनिकों के स्थानीय भारतीय महिलाओं से संबंध बनने से ये लोग पैदा हुए. लेकिन इन्हें न अंग्रेजों ने अपनाया और ना ही भारतीयों ने. ऐंग्लो-इंडियन औरतों का चटनी मैरी कहकर मजाक उड़ाया जाता था.ब्रिटेन के अखबार टेलिग्राफ की जून 2013 के अनुसार छह पीढ़ियों पहले विलियम की मां डायना के एक पुरखे ईस्ट इंडिया कंपनी में काम करने वाले स्कॉट मूल के थियोडर फोर्ब्स के संबंध एक घरेलू नौकरानी एलिजा केवार्क से रहे थे.अब तक माना जाता रहा कि केवार्क आर्मेनियाई मूल की थीं और भारत में रह रही थीं .पर वास्तव में वे आर्मेनियाई नहीं भारतीय थीं..1812 इस युगल की एक बेटी हुई थी - कैथरीन .
रिसर्चर बताते हैं कि एलिजा केवार्क की बेटी, कैथरीन स्कॉटलैंड लौट आई थीं. वहां से वह अपनी मां को गुजराती में चिट्ठियां लिखा करती थीं. बाद में उन्होंने आबेरडीन में जेम्स क्रोम्बी से शादी कर ली. उनकी पोती ने बैरन फेरमॉय के मौरिस ब्रूक रोश से शादी की. उनकी पोती प्रिंसेस डायना ने प्रिंस चार्ल्स से शादी की और इस तरह यह रक्त शाही परिवार में शामिल हुआ. अब यह ब्रिटेन के संभावित राजा की रगों में दौड़ रहा है.
¨प्रिंस विलियम के शरीर में भारतीयों में पाये जाने वाले खास तरह के माइटोकांड्रियल डीएनए है। इस डीएनए की खास बात यह है कि यह किसी भी बच्चे को अपनी मां से मिलता है। यह पिता से बच्चे तक नहीं जाता। इसी वजह से यह डीएनए ¨प्रिंस विलियम और ¨प्रिंस हैरी तक ही रहेगा.
( विभिन्न समाचार-सूत्रों से ज्ञात वक्तव्यों पर आधारित .)
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वाह , प्रतिभा जी । ग़ज़ब का शोधपत्र है । बात कहाँ से कहाँ पहुँची है!!
जवाब देंहटाएंइतनी खोज तो आपने शायद कभी अपनी वंशावली के लिये भी नहीं की होगी । प्रिंस विलियम और हैरी तो धन्य हो गए । ये रहस्य मज़ेदार रहा ।इस रोचक प्रसंग के लिये आपको साधुवाद !!
वाह ! रोचक जानकारी..उम्मीद है पुराने संबंध और मजबूत होंगे..
जवाब देंहटाएंअद्भुत शोध किया है ... रोचक जानकारी .
जवाब देंहटाएंहम्म... सुना तो है.
जवाब देंहटाएंजय मां हाटेशवरी...
जवाब देंहटाएंअनेक रचनाएं पढ़ी...
पर आप की रचना पसंद आयी...
हम चाहते हैं इसे अधिक से अधिक लोग पढ़ें...
इस लिये आप की रचना...
दिनांक 29/09/2016 को
पांच लिंकों का आनंद
पर लिंक की गयी है...
इस प्रस्तुति में आप भी सादर आमंत्रित है।
आभार,कुलदीप जी!
हटाएंडायना का राजपरिवार में शामिल होना, वैसे भी राजवंश की रक्त श्रृंखला को भंग करने की ओर पहला कदम था, मम्मी. फिर भी यह शोध वास्तव में बड़ा ही रोचक है.
जवाब देंहटाएंइस पोस्ट से अलग जब आपने चटनी मेरी का उल्लेख किया तो मुझे झारखण्ड की एक छोटी सी जगह मैक्लुस्कीगंज में ऐसी बहुत सी एंग्लो इन्डियन महिलाएँ दिखाई देती हैं गरीबी की ज़िंदगी गुजारते हुए. इनका जीवन यापन रेलवे स्टेशन पर फलों की टोकरी लिये फल बेचती दिखाई देती हैं.
हमने "अंग्रेजों" को साहब और मेम की कल्पना में ही देखा सुना है. ज़मीन पर बैठे, घुटने तक साड़ी बाँधे टोकरी में लेकर केले बेचते देखना बड़ा अजीब लगता था.
आज आपकी इस पोस्ट ने, यह मिलावट राजवंश तक है, बता दिया!
सचमुच रोचक पोस्ट है मम्मी!!
आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 29-09-2016 को चर्चा मंच पर चर्चा - 2480 में दिया जाएगा
जवाब देंहटाएंधन्यवाद
आभारी हूँ ,विर्कजी !
हटाएंरोचक ।
जवाब देंहटाएंरोचक जानकारी है.
जवाब देंहटाएंरोचक जानकारी.
जवाब देंहटाएंरोचक जानकारी
जवाब देंहटाएं:0
जवाब देंहटाएंमुझे तो स्वप्न में भी ये सब ज्ञात नहीं था प्रतिभा जी। अनूठा लगा पढ़ना....!
सच में! काफी लोगो से बांटूँगी इस पोस्ट को।
आभार@!@@
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जवाब देंहटाएंमुझे तो स्वप्न में भी ये सब ज्ञात नहीं था प्रतिभा जी। अनूठा लगा पढ़ना....!
सच में! काफी लोगो से बांटूँगी इस पोस्ट को।
आभार@!@@