बुधवार, 7 जुलाई 2010

फ़ैसला सुरक्षित है

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अक्सर अख़़बारों में पढने को मिलता है और ख़बरों में भी सुनाई देता हैं, कि कोर्ट में किसी केस का फैसला सुरक्षित कर लिया गया ।हमें तो बड़ा ताज्जुब होता है ।बडा बहुमूल्य फ़ैसला होगा जो उसे सुरक्षित रखे बैठे हैं ।अभी तक हीरे जवाहरात ,पुरातत्व की चीजें, मरनेवाले की विल आदि सुरक्षित रखे होने की बात सुनी थी ।'फैसला सुरक्षित रखा गया' जब पहली बार सुना तो हम चौंके ।हमने तो सोचा था कि फैसले सुनाये जाने को होते हैं ,जिससे सब लोग जानें ,समझें , उससे कुछ सीख ग्रहण करें। फैसला किया गया और सुरक्षित रख दिया गया! किसी को दिया या बताया नहीं गया तो फैसला करने से क्या फायदा हुआ ?वैसे तो लोग इन्तजार करते हैं ,कब फैसला होगा,क्या होगा?सुनते हैं,जानते हैं तो लोगों पर असर पडता है। एक उदाहरण सामने रहता है कि ऐसा करने पर उसका यह नतीजा हो सकता है ।मेरा विचार था कि फैसले इसीलिये सुनाये जाते हैं कि जनता पर उसका असर पडे ,वह चेत जाये ।नहीं तो किया फैसला और दे दी सजा ,लोगों को इन्वाल्व करने की क्या जरूरत ! लेकिन अब मानसिकता बदल गई है ।हो सकता है पुरातत्व की वस्तु बन जाने पर उसे उद्घाटित करें ।
हमें जहाँ तक याद है पहले ऐसा सुनने में नहीं आता था कि फ़ैसला नहीं बतायेंगे । अल्मारी में सीलबन्द किया रख रहेगा ।हो सकता है होता हो ।पर सुरक्षित रखने का रिवा़ज अब बढता जा रहा है ।मैंने सोचा कि पब्लिकली न बतायें ,व्यक्तिगत रूप से पूछे जाने पर तो बता देंगे कि क्या निर्णय किया ।
हमने जाकर पता किया ।कोई कुछ बताने को तैयार नहीं ।बेकार दुनिया भर को क्यों बीच में डालें अकेले जाकर जज साहब से पूछ लें।हमने अर्दली से कहा कि इस मामले में हम उनसे बात करना चाहते हैं । उत्तर मिला -साहब सिर्फ मुजरिमों -अपराधियों से मिलते है ,वह भी कोर्ट-रूम में। कान खोल कर सुन लो वे सुनते हैं सिर्फ मुजरिमों ,वादियों ,प्रतिवादियों और अनुवादियों की !तुम जैसे लल्लू-पंजू , प्रवादियों से बात नहीं करते ।
'तो फ़ैसला कैसे पता लगे ?'
'नहीं जान सकते ।फ़ैसला सुरक्षित है ।'
'अरे हम जानना ही तो चाहते हैं ।कोई उनके फैसले को लूट थोडे ही लेंगे ।'
'यही तो खतरा है ।इसीलिये नही खुलासा किया ।'
'पर वह है कहाँ ?'
'कहा न, बता कर रिस्क नहीं लेना । लिफ़ाफे़ में सीलबन्द कर ,अल्मारी में लॉक कर दिया है ।ज्यादा हल्ला मचाओगे ,बहसबाजी करोगे तो कमरा बन्द करके उसमें भी ताला डाल देंगे ।सुरक्षित रखना हमारा काम है ।'
'पर मालूम तो पडॉना चाहिये ।जब केस सबकी जानकारी में हुआ ,तो फैसले का खुलासा क्यों नहीं ?'
' क्यों प्राण खाये जा रहे हो ?समझते क्यों नहीं जो चीज सुरक्षित है उसके पीछे क्यों पडे हो ?आखिर तुम्हारी मंशा क्या है ?'
'यह लोक- तंत्र है ,हमे जानने का हक है ।'
'अजीब लोगों से पाला पडा है !अरे उसी की नज़रों से तो बचाना है ।जनता के बीच हर चीज अरक्षित हो जाती है ।हमारा काम न्याय की सुरक्षा है ।फैसला न्याय है इसलिये बन्द कर दिया है ,जिसमें सुरक्षित रहे ।'
हमने फौरन उसके लिये चाय -नाश्ता मँगवाया ।थोडा ढीला पडा वह ।बताने लगा -जानते हो कितना टाइम लगता है एक -एक मुकद्दमें के फैसले में ?दस-दस,बीस-बीस साल तो मामूली बात है ।इतने सालों की मेहनत उनकी ।उसे भी सबके बीच अरक्षित छोड दें तो साहब की तो सारी मेहनत पर पानी फिर जायेगा ।'
हमारे एक संबंधी के रिश्तेदार न्यायाधिकरण में कार्यरत हैं।उनसे चर्चा हुई ।उन्होंने पहले ही सावधान कर दिया कि हम लोग वैसे ही जनता से बचते रहते हैं ।यह हमारी-उनकी आपसी बात है ,सार्वजनिक करने की जरूरत नहीं । अगर लोगों को पता लग गईं तो छीछालेदर होने लगेगी
।साराँश यह था -न्याय चुप रहता है ।पहले वारदातें होती हैं ।जब हो चुकती हैं तो पुलिस हरकत में आती है ।धर-पकड करती है ।फिर हमसे गुहार की जाती है ,शिकायत लाई जाती है .सबूतों सहित विधिपूर्वक वाद खडा किया जाता है ।तब हम न्याय का उपक्रम करते हैं ।न्याय करने के लिये पूरे प्रमाण चाहिये और वे तब मिलते हैं जब ,अपराधी का काम पूरा हो जाये ।जब माँगा जाता है तब न्याय दिया जाता है ।हमने सब बताया ,' हम कबसे माँग रहे हैं। फ़ैसला हो गया ,पर दिया नहीं गया ।'
वे कुछ ताव में आगये,'फिर वही धुन पूर दी ! न्याय कर दिया गया है।सुरक्षित रखी गई चीज,किसी के सामने नहीं लाई जा सकती ।'
हम सोचते रहे ,सोचते रहे ,जज साहब न्यायविद् हैं ।जानते है जनता के बीच न्याय अरक्षित है ।उसके बीच फ़ैसला गया तो उसे भी चोट पहुँचाने की कोशिश की जायेगी ।जज साहब को भी चोट पहुँचेगी ।चलने दो जैसा चलता है ।होने दो जो होता है ,होनी को कौन रोक पाया है
कभी तो यह फ़ैसला लोगों के सामने आयेगा ।आज नहीं तो कल ,कल नहीं तो परसों ,मेरा मतलब है ,लम्बे समय के उपरान्त यह उद्घाटित होगा ।होगा ,अवश्य होगा ! कल को हम नहीं होंगे ,जज साहब और वादी -प्रतिवादी भी पता नहीं कहाँ होंगे ।पर फ़ैसला रहेगा ।हम अरक्षित है पर वह सुरक्षित है ।अभी अल्मारी में बन्द है यह फ़ैसला इतिहास बनेगा । पुरातात्विक वस्तुओं के साथ रखा जायेगा ।और उस समय जो लोग होगे ,जानेगे कि हमारे यहाँ का न्याय कितना सजग सचेत है ।कितने अलभ्य फ़ैसले हैं और कितने सुरक्षित ।

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