बुधवार, 30 अक्टूबर 2019

अपनी अपनी पैकिंग -


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बड़ा लोभी है मन ,कहीं सुन्दरता देखी नहीं कि अपने भीतर संजो लेने को उतावला हो उठता है. और तो और प्लास्टिक के सजीले पारदर्शी लिफ़ाफ़े जिसमें कोई आमंत्रण-अभिन्दन या कोई और वस्तु आई हो फेंकने को सहज तैयार नहीं होता. इसे लगता है कितना स्वच्छ है इसमें अपने लिखे-अधलिखे बिखरे पन्ने सहेज लें,जो अन्यथा दुष्प्राप्य हो जाते हैं. जब ऊपरसे ही दिख जायेगा तो खोज-बीन करते मूड चौपट होने की नौबत नहीं आएगी.
अब तो सामान्य प्रयोग का सामान, और-तो-और नित्य प्रयोग  की छोटी-मोटी वस्तुएँ भी ,बेचने के लिये ,ऐसी आकर्षक पैकिंग में रखी जाती हैं जैसे संग्रहणीय वस्तुएँ हों.ये नहीं कि कागज़ में लपेटा और पकड़ा दिया.पैकिंग के लिये मैंने हिन्दी भाषा का शब्द खोजा तो कोई पर्याय,या समानार्थक शब्द नहीं मिला. वैसे भी समय के साथ नया ट्रेंड चलने पर नये शब्दों की आवश्यकता पड़ती है,तो यही सही!
कभी-कभी तो स्थिति ऐसी, जैसे विगत-यौवना को दुल्हन बना कर उस पर आवरण डाल दिया गया हो.अंदर का माल का पता ही नहीं चलता कि कैसा है.जैसा है किस्मत पर संतोष करिये. व्यवसायी का उद्देश्य कि बैग कहीं से पारदर्शी न छूटे जो अंदर की अस्लियत देख गाहक बिदक जाय. तो यह उपाय सबसे आसान. सावधानी इतनी कि कहीं जरा सी  संध से भंडाफोड़ न हो जाय. 
कितना पैसा खर्च होता होगा इस टीम-टाम में !
लेकिन पुराना माल भी तो निकालना आवश्यक है.
हाँ तो ,सामग्री से अधिक महत्व है उसकी पैकिंग का. अब वे दिन लद गए कि दूकान पर गए, हाथ में लेकर माल परखा और  सामने बैग में नाप-जोख कर डलवा लिया. 
हर क्षेत्र में यही हाल है अब तो. फ़ोटो में जो सुन्दर दिखे, वास्तविकता में वहाँ  कितना मेकप थोपा गया है आप नहीं जान सकते .समाचार पत्र में जो पढ़ रहे हैं उसके बैकग्राउंड में क्या-क्या समाया है कहीं स्पष्ट नहीं किया जायेगा. क्योंकि सामान से अधिक महत्व उसकी पैकिंग का है उसे मन लुभाऊ होना चाहिये.  ठीक भी है सामान कुछ दिनों बाद समाप्त हो जाएगा पैकिंग रहेगी चिरकाल तक. इसीलये गाहक को लुभाने में ऊपरी टीम-टाम अर्थात् पैकिंग का बड़ा महत्व है.  
केवल व्यवसायी ही नही लाभ के लिये ये उपाय सभी आज़माते हैं. उनके व्यापार का प्रश्न है तो इनके सहचार की ये रीत है. अपने स्वयं को एक आवरण के साथ प्रस्तुत करना- पैंकिंग नहीं तो और क्या है? और हम कौन इस से अलग हैं, हम सब पैकिंग में रहनवाले लोग हैं. जो जानते हैं आवरण ऊपरी वस्तु है ,आवश्यकता पड़ने पर बदला भी जा सकता है. 
हम वैसे के वैसे रहेंगे. किसी को आभास तक नहीं होगा कि अंदर क्या-क्या भरा है. 
ओढ़े रहिये चाहे जितनी पैकिंग ,अंदर के माल पर कोई आँच नहीं, बिलकुल निश्चिंत रहिये!
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4 टिप्‍पणियां:

  1. पैक्ड कूड़ा। दिन बहुर गये उसके भी । बहुत खूब्।

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  2. टिप टाप पैकिंग का जमाना है। सही कहा आपने
    अंदर का माल खत्म होने के बाद उस माल की पेकिंग ही बचती है जिस पर उस कम्पनी और माल की मसूरी करी गयी होती है।
    सुंदर लेख, तंज कसता हुआ।
    बनावटी चहरे सुंदर जो लगते है आजकल।
    यहाँ स्वागत है 👉👉 कविता 

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  3. सही कहा है आपने आज दिखावट का ही जमाना है, ऊपरी तामझाम अच्छी हो तो सब बिक जाता है

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