बुधवार, 11 फ़रवरी 2015

बिहार की माटी की सोंधी गंध..

12 फरवरी को जिनका जन्म दिवस है,अनेक विभिन्नताएँ  जिस व्यक्तित्व को बहुआयामी  और पूर्णतर बनाती हुई सतत नवीनता का संचार करती हैं ,हृदय और मस्तिष्क की सुचारु समन्विति ,लेखन में जीवन्तता भर, रमणीय अर्थ का हेतु बन,  लोक एवं प्रबुद्ध सभी स्तरों पर पाठक मन को बाँधे रखने में  समर्थ हैं ,मैं उन सलिल वर्मा का अभिनन्दन करती हूँ !
 व्यापक  अध्ययन का प्रभाव , दृष्टि और सृष्टि की व्याप्ति में मुखरित  करते हुए  सलिल की  अपनी शैली है - कलम में बिहार की सोंधी माटी की गंध समाए दुनिया-जहान की चर्चाएँ,  लोक और वेद(विज्ञता) दोनों को साधने का निराला अंदाज़ उन्हें विलक्षण बनाता है . यों तो सारी कलाएँ विद्याएँ और कौशल(तकनीकी ज्ञान)'साहित्य' शब्द की 'सहित' वाली व्युत्पत्ति में समाहित हैं ,लेकिन सलिल के व्यक्तित्व में संगीत, साहित्य और  अभिनय  की त्रयी उनके कथ्य को बड़ी सहज भंगिमा से सज्जित कर,  पाठक का मन बाँधे रखती है , और सबको हृदयानुभूति से जोड़ अपना बना लेने की विलक्षण कला उनके लेखन को भी जीवन्त अनुभव बना देती है .
 व्यक्तित्व ही साहित्य में प्रतिफलित होता है या यों कहें कि साहित्य भाषा का व्यक्तिनिष्ठ प्रयोग है ,तो सलिल को उनके लेखन में प्रतिबिंबित होते देखना ऐसा  सुखद अनुभव है जो मुझे ही नहीं बहुतों को आनन्दित करता है. मनस् एवं बौद्धिक प्रक्रियाओं से आपूर्ण जीवनानुभवों के  सहज , सरस और बहुआयामी प्रस्तुतियों की  मौलिकता उन्हें जहाँ इतना लोकप्रिय और  आत्मीय बना देती है वहीं उनकी कलात्मक रुचियाँ ,  वस्तु को नव्य परिप्रेक्ष्य दे कर अनोखे टटकेपन से  निखारती  हैं .
यही है वाग्देवी की अनुकम्पा , जो व्यक्ति में   सृजनात्मिका शक्ति बन अवतरित होती है और  उसके  सृजन  को  पूर्णतर बनाती हुई , सृष्टा के साथ समष्टि को भी  अलौकिक आनन्द का भागी  बनाती है .
प्रिय सलिल ,तुम पर  माँ सरस्वती की कृपा-दृष्टि  निरंतर बनी रह कर उन्नयन की ओर अग्रसर करती रहे!

 वत्स !  इस  शुभ जन्म-दिवस पर मैं , स्वास्थ्य,सफलता,सुयश और समृद्धियों से पूर्ण तुम्हारे शतायु  होने की कामना करती हूँ !

10 टिप्‍पणियां:

  1. पूज्य माँ,
    आपका, शकुन मासी का और गिरिजा दी का, साथ ही इतने सारे लोगों का प्यार, स्नेह और सम्मान मिलने के बाद सहज ही विश्वास नहीं होता कि मैं इसके योग्य भी हूम कि नहीं. ओशो कहते हैं कि ऐसा वक्तव्य भी किसी के अहंकार का प्रतीक होता है. लेकिन मैं नम्रता से यह स्वीकार करता हूँ कि यह आपलोगों का प्यार और बड़प्पन है जो ऐसे विशेषणों से विभूषित किया मुझे. हाँ इसके साथ ही मेरे कन्धों पर एक दायित्व का बोझ भी बढ़ गया है कि मैं उन विशेषणों के योग्य बन सकूँ!
    आपका आशीष माँ, मेरे लिये प्रसाद है, जिसे मैं सिर झुकाकर स्वीकार करता हूँ!
    चरण स्पर्श!

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  2. सलिल भाई के व्यक्तित्व के अनुरूप आपकी यह अभिव्यक्ति है
    उसी दिन पढ़ी थी मैंने लेकिन टिप्पणी करने में विलंब हुआ माफ़ी :) आभार के साथ !

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  3. लगा जैसे सरस्वती पुत्र को शारदा का आशीर्वाद मिला हो , सलिल भाग्यवान हैं, सुयोग्य तो हैं ही ! सस्नेह

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  4. जन्मदिवस की बहुत बहुत शुभकामनाएँ सलिल जी !
    क्षमा कीजियेगा....जानती हूँ कि अत्यधिक ही विलम्ब से यहाँ पोस्ट कर रही हूँ..अविनाश और स्वप्निल से आपके बारे में बहुत सुना है.तो आपको विश किये बिना रहा नहीं गया. यूँ भी शुभ भावनाओं की आयु और समय तो होता नहीं।
    अब आपकी लेखनी से भी परिचय होता रहेगा। जहाँ नौकरी करती हूँ इंटरनेट सुविधा दे दी गयी है. प्रमाण है मेरी ये देवनागरी की लिखाई। :)
    आप सदा सर्वदा ऐसे रहे जैसे हैं। ईश्वर की कृपा से आपके मन और चित्त सदैव शांत और आनंदित रहें , चाहे जो भी परिस्थितियाँ रहे ... …आमीन ।

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