tag:blogger.com,1999:blog-5955233793822175648.post864739862025113182..comments2024-02-08T23:02:04.166-08:00Comments on लालित्यम्: ज्ञान की आँधी -प्रतिभा सक्सेनाhttp://www.blogger.com/profile/12407536342735912225noreply@blogger.comBlogger2125tag:blogger.com,1999:blog-5955233793822175648.post-85421971906354828142017-05-21T03:23:36.547-07:002017-05-21T03:23:36.547-07:00जिन संतो का अपने आप पर कंट्रोल नही होता वे ही नारी...जिन संतो का अपने आप पर कंट्रोल नही होता वे ही नारी को सब दुखो की खान बतलाते है। अन्यथा उन्हें नारी में ममतामयी माँ के दर्शन होंगे। खैर, अपने अपने दृष्टिकोण है। बहुत सुंदर प्रस्तुति। Jyoti Dehliwalhttps://www.blogger.com/profile/07529225013258741331noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5955233793822175648.post-69745187197378931802017-05-08T03:34:32.836-07:002017-05-08T03:34:32.836-07:00हा हा हा.. संतों ने जो भी लिखा है, कहा है, अपने अन...हा हा हा.. संतों ने जो भी लिखा है, कहा है, अपने अनुभव से ही कहा होगा, हो सकता है उनका पाला पड़ा हो ऐसी स्त्रियों से..या फिर वे अपने पूर्वजन्म में स्त्री ही रहे हों..और कुछ ऐसे ही रहे हों..होने को कुछ भी हो सकता है..स्त्री की महानता इसी में है कि अपने बारे में ऐसा सुनकर भी वह उन्हीं संतों के आगे मस्तक नवाती है..क्योंकि छोटी हो या बड़ी अंततः वह माँ है और माँ बच्चों के सभी दोषों को माफ़ कर देती है.Anitahttps://www.blogger.com/profile/17316927028690066581noreply@blogger.com