tag:blogger.com,1999:blog-5955233793822175648.post7636799208512859946..comments2024-02-08T23:02:04.166-08:00Comments on लालित्यम्: काल-मृत्यु .प्रतिभा सक्सेनाhttp://www.blogger.com/profile/12407536342735912225noreply@blogger.comBlogger12125tag:blogger.com,1999:blog-5955233793822175648.post-12475323786674638622011-12-09T19:10:34.963-08:002011-12-09T19:10:34.963-08:00मृत्यु की बात पढ़कर मुझे अपनी कुछ पंक्तियाँ याद आग...मृत्यु की बात पढ़कर मुझे अपनी कुछ पंक्तियाँ याद आगईं।<br /> ज़िंदगी जीना है हमको,साँस जब तक चल रही है।<br /> एक भी तो साँस घट सकती नहीं,<br /> एक भी तो साँस बढ़ सकती नहीं,<br /> फिर भला रोकर यहाँ हम क्यों जियें?<br /> आँसुओं से ज़िंदगी की राह क्यों बोझिल करें?<br /> ज़िंदगी के चार दिन हँसते हुए जीना हमें,<br /> और मन की सभी खुशियाँ बाँटना सब में हमें।। <br />जीवन ज़िंदादिली से जीने और सभी कार्यकलाप सुचारु रूप करते रहने के लिये स्वस्थ नीरोग शरीर की आवश्यकता है,जिसकी पूर्ति<br />अष्टांग-योग करता है।ये मन और शरीर दोनों को स्वस्थ रखता है ।शकुन्तला बहादुरnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5955233793822175648.post-14387480627560395322011-11-25T21:32:50.676-08:002011-11-25T21:32:50.676-08:00प्रेरणा अर्गल जी ,
मैं बराबर ब्लागर्स मीट वीकली (...प्रेरणा अर्गल जी ,<br />मैं बराबर ब्लागर्स मीट वीकली (18)पर पहुँचने के लिये प्रयत्न कर रही हूँ ,लेकिन वह साइट नहीं खुल रहा है .कैसे जाना होगा उस पृष्ठ पर -कृपया बतायें .<br />आपका ई-मेल पता भी नही मेरे पासप्रतिभा सक्सेनाhttps://www.blogger.com/profile/12407536342735912225noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5955233793822175648.post-59291162604037595932011-11-21T09:53:07.266-08:002011-11-21T09:53:07.266-08:00बहुत अच्छी बात उठायी है प्रतिभा जी। पता नहीं...कही...बहुत अच्छी बात उठायी है प्रतिभा जी। पता नहीं...कहीं पढ़ा था या शायद माँ ने मुझे बताया था...'' कि श्मशान से लौटने के पश्चात कैसी भावनाएँ उमड़तीं हैं...सांसारिक रिश्ते नाते सब गौण लगने लगतें हैं..अंतिम सत्य आँखों के सामने स्पष्ट हो जाता है...लगता है, क्या पैसों के पीछे मारामारी करना..क्या दूसरे का दिल दुखाना...सब तो मिट ही जाना है...आदि आदि'। ये सब बातें याद हो आयीं इस पोस्ट को पढ़ते पढ़ते।<br /> <br />एक बात और कहने का मन है...और ये मेरा व्यक्तिगत दृष्टिकोण है ...'' ऊपरी उपाय मेरे लिए ग्रहणीय नहीं हैं...शायद इसलिए कि मुझे उन पर विश्वास नहीं..और आगे आने वाले जीवन में भी ये उपाय तब तक ग्राह्य नहीं होंगे जब तक कि मेरा कोई अपना कष्ट में न हो..जिसके लिए मैं संसार में उपलब्ध हरसंभव उपाय,महामृत्युंजय जाप से लेकर अमुक बाबा की अमुक औषधि तक, ढूँढना/अपनाना चाहूँगी...इस स्थिति को छोड़ दें तो केवल अपने आप को दीर्घायु और स्वस्थ बनाये रखने के लिए मैं कोई भी रसायन,उपाय और साधना नहीं ही करूँगी। <br />इस एक बात को छोड़ के बाक़ी पूरी पोस्ट से मेरा ह्रदय और मस्तिष्क सहमत है....:)<br />बहुत अच्छा लेख है प्रतिभा जी....बहुत सी बातें taaza हो gayin.<br /><br />(मैं बहुत दिनों बाद आई प्रतिभा जी आपके पास...थोड़ी अस्वस्थता थी...आना संभव न हो सका था..बहुत कुछ छूट गया है...सब पढ़ना है धीरे धीरे ...क्षमा कीजियेगा विलंब के लिए...:(...)Taruhttps://www.blogger.com/profile/08735748897257922027noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5955233793822175648.post-60016668743754439832011-11-18T23:07:49.344-08:002011-11-18T23:07:49.344-08:00जो प्रकृति एवं ईश्वर द्वारा निर्धारित विधान है उसक...जो प्रकृति एवं ईश्वर द्वारा निर्धारित विधान है उसको शिरोधार्य करना ही हमारा धर्म होना चाहिये ! सारगर्भित आलेख के लिये आभार !Sadhana Vaidhttps://www.blogger.com/profile/09242428126153386601noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5955233793822175648.post-383900654505552642011-11-16T20:06:51.546-08:002011-11-16T20:06:51.546-08:00मृत्यु ही हमें सारे रोगों से मुक्ति प्रदान करती ह...मृत्यु ही हमें सारे रोगों से मुक्ति प्रदान करती है।अजित गुप्ता का कोनाhttps://www.blogger.com/profile/02729879703297154634noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5955233793822175648.post-69551418789590095082011-11-16T16:33:57.253-08:002011-11-16T16:33:57.253-08:00"जीवेत शरदः शतं" की बात हो, "सर्वे ..."जीवेत शरदः शतं" की बात हो, "सर्वे संतु निरामयाः" की, या चतुराश्रम की, भारतीय संस्कृति में 100 वर्ष की सम्पूर्ण आयु सामान्य मानी गयी है। लेकिन साथ ही "तेन त्यक्तेन भुञ्जीथा:<br />मा गृध: कस्यस्विद्धनम्" जैसे विचारों के साथ हिंसा, द्वेष, अनिष्ट, अकाल मृत्यु आदि देने-लेने से यथासम्भव बचा गया है। योगाभ्यास हो, आयुर्वेद या समर कलायें या "परित्राणाय साधूनां" का उद्घोष, हमारी संस्कृति में जीवन को उल्लासपूर्वक जीने और समय आने पर समारोहपूर्वक त्यागने की ही बात है।Smart Indianhttps://www.blogger.com/profile/11400222466406727149noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5955233793822175648.post-65439114753486335202011-11-16T10:10:05.088-08:002011-11-16T10:10:05.088-08:00काल मृत्यु तो शाश्वत है .. जीवन को इसके इंतज़ार म...काल मृत्यु तो शाश्वत है .. जीवन को इसके इंतज़ार में नहीं बल्कि सार्थक उपयोग करते हुए जीना चाहिए .. सुन्दर प्रस्तुतिसंगीता स्वरुप ( गीत )https://www.blogger.com/profile/18232011429396479154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5955233793822175648.post-74369874253230901412011-11-16T10:01:31.896-08:002011-11-16T10:01:31.896-08:00साधना से आयु बढ़ती है या नहीं, कह नहीं सकता, पर यह...साधना से आयु बढ़ती है या नहीं, कह नहीं सकता, पर यह सुना है कि साधना मोक्ष प्रापति के लिए करते हैं, अब जब मोक्ष की चाहत हो तो उससे आयु का क्या लेना देना?मनोज कुमारhttps://www.blogger.com/profile/08566976083330111264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5955233793822175648.post-55398987493712848442011-11-16T09:34:05.306-08:002011-11-16T09:34:05.306-08:00is lekh dwara aapne meri bhi shanka ka samaadhan k...is lekh dwara aapne meri bhi shanka ka samaadhan kar diya. saargarbhit lekh. aabhar.अनामिका की सदायें ......https://www.blogger.com/profile/08628292381461467192noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5955233793822175648.post-44714126783144625772011-11-16T08:38:17.985-08:002011-11-16T08:38:17.985-08:00सत्य वचन!सत्य वचन!Avinash Chandrahttps://www.blogger.com/profile/01556980533767425818noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5955233793822175648.post-1851704052130309762011-11-16T08:26:53.873-08:002011-11-16T08:26:53.873-08:00Our aim should be to keep ourselves happy and to k...Our aim should be to keep ourselves happy and to keep others happy. Rest is in God's hands. As far as 'Death' is concerned...Date and time is destined, nothing can change it.ZEALhttps://www.blogger.com/profile/04046257625059781313noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5955233793822175648.post-60124584968921803312011-11-16T08:21:05.426-08:002011-11-16T08:21:05.426-08:00बहुत ही सारगर्भित रचना आभारबहुत ही सारगर्भित रचना आभारSunil Kumarhttps://www.blogger.com/profile/10008214961660110536noreply@blogger.com