tag:blogger.com,1999:blog-5955233793822175648.post6895241868240364397..comments2024-02-08T23:02:04.166-08:00Comments on लालित्यम्: हिन्दी के ब्लागों की क्या यही नियति है?प्रतिभा सक्सेनाhttp://www.blogger.com/profile/12407536342735912225noreply@blogger.comBlogger27125tag:blogger.com,1999:blog-5955233793822175648.post-7435409546305045152013-01-02T19:45:15.351-08:002013-01-02T19:45:15.351-08:00जी आपकी बात से सहमत हूँ, जिनसे गलती हुई है वे एक श...जी आपकी बात से सहमत हूँ, जिनसे गलती हुई है वे एक शब्द में क्षमा भी मांग सकते हैं लेकिन सफाई दर सफाई देना प्रीफर करते हैं, सच तो यही है कि हिन्दी पत्र-पत्रिकाओं में ब्लॉग-पोस्ट्स रोज़ छप रही हैं और उनमें से अधिकांश के लेखकों को इस बात की खबर किए जाने की मामूली सौजन्यता भी नहीं निभाई जाती, आज्ञा लेने या पारिश्रमिक देने की तो बात ही अजूबा होगी। Smart Indianhttps://www.blogger.com/profile/11400222466406727149noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5955233793822175648.post-78138398806920099162013-01-02T17:35:09.741-08:002013-01-02T17:35:09.741-08:00टिप्पणी के कुछ तत्व, जिनमें बहुत कुछ समाया हो, हो ...टिप्पणी के कुछ तत्व, जिनमें बहुत कुछ समाया हो, हो सकता है, मैं न समझ पाई होऊँ.मुझे लगा - जो व्यक्ति अपने ब्लाग का नाम (मुझे अब पता चला है)'सत्यमेव जयते'रखता हो ,उसे लीपा-पोती करने के स्थान पर स्पष्ट और न्यायसंगत बात कहना शोभता है -और वैसे तो आज के पत्रकार, ऊपर से संपादकी का तुर्रा -करेला और नीम-चढ़ा .उनके लिये क्या कहा जाय! अगर कुछ और तात्पर्य निहित हो तो कृपया बताएँ अनुराग जी,अपना मत ज़रूर सुधारूँगी. हिन्दी के ब्लागों की क्या यही नियति है? पर<br />प्रतिभा सक्सेनाhttps://www.blogger.com/profile/12407536342735912225noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5955233793822175648.post-73207980228682318262012-12-31T21:56:20.434-08:002012-12-31T21:56:20.434-08:00:(
आपके आलेख के बाद अतुल श्रीवास्तव की टिप्पणी बह...:( <br />आपके आलेख के बाद अतुल श्रीवास्तव की टिप्पणी बहुत कुछ कह रही है ... Smart Indianhttps://www.blogger.com/profile/11400222466406727149noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5955233793822175648.post-19613574343429295302012-12-28T08:45:23.675-08:002012-12-28T08:45:23.675-08:00रेखा जी,
और ब्लागर मित्र भी आगे आयें तब तो बात बने...रेखा जी,<br />और ब्लागर मित्र भी आगे आयें तब तो बात बने.सब चुप रहेंगे तब तो कुछ होनेवाला नहीं.प्रतिभा सक्सेनाhttps://www.blogger.com/profile/12407536342735912225noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5955233793822175648.post-12102629375978156942012-12-28T03:27:37.183-08:002012-12-28T03:27:37.183-08:00ये बात कोई नयी नहीं है क्योंकि इसका शिकार मैं भी ब...ये बात कोई नयी नहीं है क्योंकि इसका शिकार मैं भी बन चुकी हूँ। कभी कभी तो अनुमति मांग लेते हैं लेकिन फिर कब और कहाँ उसको लेकर प्रकाशित कर रहे हैं, इसके बारे में कोई सूचना नहीं मिलती है और प्रति ये तो कोई सवाल ही नहीं उठता है। हाँ कुछ लोग जरूर ही उसके बारे में सूचना दे देते हैं . इसके लिए ब्लॉग के लेखन को सुरक्षित रखने का कोई न कोई तो प्रावधान होना चाहिए। लॉक करने पर भी उसको चोरी कर लिया जाता है। बाकी इसके जानकर ही कोई मार्ग निकल सकते हैं और सबके लेखन को सुरक्षित रखा जा सके रेखा श्रीवास्तवhttps://www.blogger.com/profile/00465358651648277978noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5955233793822175648.post-86660117433444715902012-12-27T20:59:24.659-08:002012-12-27T20:59:24.659-08:00राजेन्द्र जी ,
सुविचारित टिप्पणी देने के लिये ,तथा...राजेन्द्र जी ,<br />सुविचारित टिप्पणी देने के लिये ,तथा ,आगे के लिये सार्थक कदम उठाने के प्रयास हेतु ,आपका आभार<br /> यह शिकायत और लोगों को भी है .अलग-अलग रह कर हमारे कहा-सुनी करने से तो बात वहीं खत्म हो जायेगी.ब्लाग-जगत की ओर से शुरुआत हो तो अनुकूल परिणाम की आशा बँधती है.समाचार- पत्र और पत्रिकाओं के नाम खुली चिट्ठी भेज कर उनसे विचार माँगे जायँ कि ब्लागों के साथ अन्याय न हो इस विषय में वे अपने विचार दें ,और जो सर्वमान्य हो उस उचित नीति का निर्धारण करें. <br />पत्रकारिता एक मिशन है,वे स्वयं विचार करें कि उनके क्षेत्र में जो हो रहा है वह कैसे सही रास्ते पर आये. .औचित्य और मूल्यों की बात करने पर वे कुछ सकारात्मक बातें कहेंगे , ऐसी आशा है.<br />कुछ तो दबाव होना चाहिये कि इस पर प्रतिबंध लग सके डॉ.अजित जी से आपने निवेदन किया ही है,अन्य योग्य जनों के सहयोग के बिना हम कुछ नहीं कर सकेंगे.<br />प्रतिभा सक्सेनाhttps://www.blogger.com/profile/12407536342735912225noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5955233793822175648.post-62117914223730427762012-12-26T20:09:01.658-08:002012-12-26T20:09:01.658-08:00राजेंद्र भाई का कमेन्ट अपने आप में बेहतरीन लेख है ...राजेंद्र भाई का कमेन्ट अपने आप में बेहतरीन लेख है ! <br />बहुत कुछ सीखने समझने के लिए !<br />यह कैसे पता लगेगा कि मेरी रचना चोरी कर कहीं, छापी गयी है ??<br />इसपर प्रकाश डालने का कष्ट करें !<br />आभार आपका Satish Saxena https://www.blogger.com/profile/03993727586056700899noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5955233793822175648.post-6041638892209907702012-12-26T14:02:12.017-08:002012-12-26T14:02:12.017-08:00आदरणीया प्रतिभा जी
सादर प्रणाम !
क्षमा चाहता...<b> </b> <br /><b> आदरणीया प्रतिभा जी </b> <br /><b> </b> सादर प्रणाम !<br />क्षमा चाहता हूं , पहले ही दिन पढ़ लेने के बावजूद इस पोस्ट पर प्रतिक्रिया अब दे पा रहा हूं । <br /><br />मेरे साथ भी कई बार ऐसे हादसे हुए हैं । <br />मेरी रचनाएं और रचनाओं के अंश अंतर्जाल पर कई लोगों ने चुरा कर मनमानी की है ...<br />ब्लॉग वालों में भी रचनाचोर है , बहुत हैं <br />इनकी बनिस्पत फेसबुक वाले रचनाचोर अधिक सक्रिय हैं । <br />ब्लॉग और फेसबुक दोनों जगह रचनाचोर - रचनाचोरनियां आज भी सक्रिय हैं <br />बहुतों को पहचानता हूं ... कितनों को फटकारा है ... <br />औरों से भी उनकी मिट्टी पलीत कराई है ...<br />पर ढीठ - बेशर्मों को कब शर्म आई है !?<br /><br />इनका पता लग भी जाता है प्रायः ...<br />लेकिन जिन रचनाओं को जाल से उठा कर <br />लघु पत्र-पत्रिकाओं वाले रचनाचोर काम में ले लेते हैं , नाम तक बदल देते हैं , <br />मूल लेख में हेरा-फेरी , सम्पादन का कुकर्म कर डालते हैं ... उन दुष्टों का हर पाप उजागर हो ही जाएगा , इसकी संभावना बहुत ही कम होती है । <br /><b> </b> <br /><b> प्रति स्वतः भेजने का धर्म तो आजकल मांग कर रचना लेने वाले संपादक भी नहीं जानते </b><br />तो <b> चोट्टे यह शराफ़त क्यों करेंगे ?</b><br />... और हमारी रचना की चोरी का देर-सवेर संयोगवश पता चल भी जाए तो ये कब जवाबदेही स्वीकार करने वाले हैं ?<br /><br />सच कहूं तो <b> लघु पत्र-पत्रिका का धंधा करने वाले</b> <br />हमारे ब्लॉग पर लगी ढंग की रचनाओं को <b> चौराहे पर पड़ा लावारिस सामान</b> , और इससे भी अधिक <b> अपने बाप का माल</b> समझते हैं । <br /><br />ये <b>भास्कर भूमि </b> वाले कौन हैं ? <br /><b> अतुल श्रीवास्तव जी </b> ही हैं क्या ? ... या कोई और ?<br /><br /><b>भास्कर भूमि </b> वालों से निवेदन है <br />अगर कभी मेरे ब्लॉग <b><a href="http://shabdswarrang.blogspot.in/" rel="nofollow">शस्वरं</a></b> से भी रचनाएं ले कर <br />प्रकाशित की हो तो उन अंकों की प्रति मूझ तक पहुंचाने की मेहरबानी करे । <br /><b> </b> <br /><b> राजस्थान साहित्य अकादमी , </b> उदयपुर के <b> अध्यक्ष </b> पद को सुशोभित कर चुकी <br /><b> आदरणीया अजित गुप्ता जी </b> से निवेदन है कि मौलिक रचनाओं के परिप्रेक्ष में लेखकीय हितों के लिए संभवतः कुछ विस्तार से बताएं तो कृपा होगी । <br /><b> </b> आप अपने ब्लॉग पर भी तत्संबंधी पोस्ट डाल सकती हैं ... <br /><br /><b> </b>आम तौर पर बहुतायत से लिखे जा रहे <br />सतही ब्लॉगिया लेखन को कोई उठा ले / गिरा दे इससे उन लेखकों ( ? ) को गुस्सा आता होगा , नहीं आता होगा ... <br />मैं नहीं जानता । <br />मैं तो मेल द्वारा , मैसेज द्वारा , कमेंट द्वारा , नंबर हाथ लग जाए तो मोबाइल-फोन द्वारा बुरी तरह लताड़ लगा देता हूं... <br />मात्र मेरी रचना की चोरी ध्यान में आने की स्थिति में ही नहीं , अन्य ब्लॉगर / कवि/ साहित्यकार / शायर की रचना की चोरी ध्यान में आने की स्थिति में भी । <br />सोये हुए रचनाकारों को मेल से , मोबाइल-संवाद से सूचित करता हूं ... ताकि वे आवाज़ उठाएं । <br />दिवंगत रचनाकारों की रचना चुराने वालों के साथ तो मैं कभी रियायत नहीं करता । <br /><br /><b> हमारी रचना हमारा धन है ! <br />हमारी रचना हमें अपनी संतान की तरह प्रिय है । </b> <br />किसी और मुफ़्तखोर की उस पर बुरी नज़र कैसे सह लेंगे ??<br /><br />विषय संवेदनशील है ... <br /><b> किसी की रचनाचोरी ध्यान में आने पर ब्लॉगर एक-दूसरे को मेल अथवा ब्लॉग-कमेंट बॉक्स में टिप्पणी माध्यम से सूचित तो कर ही सकते हैं । </b><br />इसके लिए मित्र या फॉलोअर होना भी आवश्यक नहीं ! मैंने कई बार अनजान अपरिचितों को भी सूचित किया है गत दो-ढाई वर्षों में , जब से ब्लॉगर बना हूं ... <br />:)<br /><br /><b> मां सरस्वती सबका भला करे ... </b> <br /><br /><b>नव वर्ष की शुभकामनाओं सहित… </b> <br />राजेन्द्र स्वर्णकारRajendra Swarnkar : राजेन्द्र स्वर्णकारhttps://www.blogger.com/profile/18171190884124808971noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5955233793822175648.post-18287888166258228652012-12-22T04:05:12.333-08:002012-12-22T04:05:12.333-08:00अक्सर अख़बार वाले ऐसा करते है पर भास्कर भूमि से शाय...अक्सर अख़बार वाले ऐसा करते है पर भास्कर भूमि से शायद कोई चुक हुई है क्योंकि भास्कर भूमि अख़बार मेरे ब्लॉग से भी रचनाएँ लेता है पर इससे पहले उन्होंने मुझ से पूर्व अनुमति ली साथ ही उन्होंने भास्कर भूमि में छपे मेरे लेखों के अख़बार भेजने हेतु मेरा पता भी पूछा| पर मैंने उन्हें अख़बार भेजने की आवश्यकता के लिए मना कर दिया क्योंकि मुझे उनकी सिर्फ जेपीजी चाहिए होती है जो उनकी वेब साईट पर मिल जाती है |Gyan Darpanhttps://www.blogger.com/profile/01835516927366814316noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5955233793822175648.post-38304802033828223912012-12-22T02:07:48.304-08:002012-12-22T02:07:48.304-08:00बहुत सुन्दर प्रस्तुति..!
आपकी इस प्रविष्टी की चर्च...बहुत सुन्दर प्रस्तुति..!<br />आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल रविवार (23-12-2012) के <a href="http://charchamanch.blogspot.in/" rel="nofollow">चर्चा मंच-1102 (महिला पर प्रभुत्व कायम)</a> पर भी की गई है!<br />सूचनार्थ!डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'https://www.blogger.com/profile/09313147050002054907noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5955233793822175648.post-16215492408663712022012-12-21T21:03:14.603-08:002012-12-21T21:03:14.603-08:00आपने अपनी समस्या को उद्घाटित करके सभी ब्लागरों को ...आपने अपनी समस्या को उद्घाटित करके सभी ब्लागरों को सावधान कर दियाशकुन्तला बहादुरnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5955233793822175648.post-16043730517829653462012-12-21T20:53:42.225-08:002012-12-21T20:53:42.225-08:00is samasya k upay k liye google me shayad koi opti...is samasya k upay k liye google me shayad koi option nahi hai. aisa krity ghor virodh ka vishay hai, aur ham apne lekhan par malkiyana hak rakhte hue kanuni karyvahi karne k liye bhi swatantr hain. so kanuni karyvahi k alawa filhal to aur koi raasta nazar nahi aata. aur post uthane wale ko kadayi se anumati mangle ke liye mazboor kiya jaye.<br />अनामिका की सदायें ......https://www.blogger.com/profile/08628292381461467192noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5955233793822175648.post-76291319160102540542012-12-21T20:30:58.202-08:002012-12-21T20:30:58.202-08:00कुछ नी हो सक्ताकुछ नी हो सक्ताKajal Kumar's Cartoons काजल कुमार के कार्टूनhttps://www.blogger.com/profile/12838561353574058176noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5955233793822175648.post-58407184776538285712012-12-21T17:11:09.685-08:002012-12-21T17:11:09.685-08:00शुरुवाती दौर में जब ब्लॉग नया नया आया था तब यह प्र...शुरुवाती दौर में जब ब्लॉग नया नया आया था तब यह प्रयास होता था कि किसी भी तरह, चाहे वो अखबार में छप कर ही, ब्लॉग के बारे में लोगों को पता चले...उस पर क्या क्या छप रहा है...किस तरह का नया प्रचलन और कथा साहित्य सामने आ रहा है..आदि आमजन तक पहुँचे...ब्लॉग पर लिखने वाले भी अधिकतर नये लिखने वाले ही होते थे..जो कि जाने माने साहित्यकारों की तरह अखबार और पत्रिकाओं में कभी छपे न थे तो वो भी खुश हो लेते थे कि उन्हें अखबार ने पहचाना...लोगों से पहचान करवाई...कार्यवाही तो दूर वो आभारी महसूस करते हुए इस तरह छप जाने का बखान अपने ब्लॉग में माध्यम से मय कटिंग करते थे...आज भी हैं...और लोग भी हैं तो मैं भी अक्सर सम्मलित रहा इस तरह से....<br /><br />निश्चित ही समय बदला है...और यदि लोग एकजुट हो इसका विरोध करें तो संभव है कि ऐसी घटनायें अब रोकी जा सकती हैं...हालांकि आंकड़ों के अनुसार अभी भी बलॉग की जो स्थिति है...मेरी राय में अभी भी इसे प्रचार और प्रसार की आवश्यक्ता है....किन्तु यदि लेखक न चाहे तो वो स्वतंत्र है विरोध दर्ज करने का और कानूनी कार्यवाही करने का...<br /><br />अच्छा मुद्दा उठाया है...साधुवाद!!Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5955233793822175648.post-46167676439019698152012-12-21T13:54:44.838-08:002012-12-21T13:54:44.838-08:00अतुल जी ,
आप लिख रहे हैं 'शायद पूर्व अनुमति दी...अतुल जी ,<br />आप लिख रहे हैं 'शायद पूर्व अनुमति दी' -कब और कैसे ,मुझे घोर आश्चर्य हो रहा है .फिर भी मुझे संतोष है कि आप सामने आये और कुछ तो माना .अब मेरे ब्लागों को उस श्रेणी(कभी भी ,कोई भी रचना लेने की ) से निकाल दीजिये.और जैसी सूचना ब्लाग पर लगी है - हर बार बिना अनुमति के न लेने की - उसे ही मान कर चलने की कृपा करें.<br />आपने आश्वस्त किया -धन्यवाद ! <br />प्रतिभा सक्सेनाhttps://www.blogger.com/profile/12407536342735912225noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5955233793822175648.post-8246749489798782082012-12-21T11:29:46.214-08:002012-12-21T11:29:46.214-08:00कृपया इस लिंक को पढ़िए...
http://www.deshnama.com...कृपया इस लिंक को पढ़िए...<br /><br />http://www.deshnama.com/2011/04/blog-post_13.html<br /><br />जय हिंद...Khushdeep Sehgalhttps://www.blogger.com/profile/14584664575155747243noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5955233793822175648.post-56937688855020779672012-12-21T09:52:04.958-08:002012-12-21T09:52:04.958-08:00प्रतिभा जी,
आपकी शिकायत कुछ हद तक जायज है, पर हमा...प्रतिभा जी, <br />आपकी शिकायत कुछ हद तक जायज है, पर हमारी कोशिश यह रहती है कि हम उन लोगों की ही रचनाएं लें जिनने अनुमति दी है और मुझे याद आ रहा है कि शायद आपने पूर्व में अनुमति दी थी और उसके बाद ही आपके दोनों ब्लागों को हमने गुगल रीडर में अपने एकाउंट में रखा था.... <br />कुछ तकनीकी कारणों से कई बार सूचना नहीं दे पा रहा मेरा फीचर विभाग पर फिर भी इस काम को दुरूस्त करने की कोशिश करूंगा...... <br />आपकी ताजा कहानी के शीर्षक बदल देने की शिकायत वाजिब है, पर वह आपके ही नाम और आपके ही ब्लाग पते के साथ छपी है.... <br />फिर भी आपको होने वाली असुविधा के लिए माफी मांगते हुए भरोसा दिलाता हूं कि आगे इस तरह की गलती न हो..... <br />Atul Shrivastavahttps://www.blogger.com/profile/02230138510255260638noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5955233793822175648.post-53891644780214738822012-12-21T08:29:17.525-08:002012-12-21T08:29:17.525-08:00अभी कल मेरी रचना आज वालो ने अपने सम्पादकीय मे शीर्...अभी कल मेरी रचना आज वालो ने अपने सम्पादकीय मे शीर्षक बदल कर चेंप दिया. <br />समझ नही आ रहा है कि क्या किया जाय्PAWAN VIJAYhttps://www.blogger.com/profile/14648578581549077487noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5955233793822175648.post-31635495365620628602012-12-21T06:10:09.471-08:002012-12-21T06:10:09.471-08:00ye to bahut kharaab bat hai...aapko us editor se b...ye to bahut kharaab bat hai...aapko us editor se bat karni chahiye..शारदा अरोराhttps://www.blogger.com/profile/06240128734388267371noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5955233793822175648.post-33777553262721169422012-12-21T05:44:12.121-08:002012-12-21T05:44:12.121-08:00बिना पूर्व स्वीकृति के किसी का लेख छापना ..यह एक र...बिना पूर्व स्वीकृति के किसी का लेख छापना ..यह एक रूटीन बना हुआ है आजकल.<br />एक सूचना आप अपने ब्लॉग पर लगा सकती हैं कि बिना पूर्व स्वीकृति के कोई लेख न उठाया जाए.Alpana Vermahttps://www.blogger.com/profile/08360043006024019346noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5955233793822175648.post-2201290078976681352012-12-21T02:57:50.876-08:002012-12-21T02:57:50.876-08:00सही कह रही हैं आप बिना इजाज़त ब्लॉग की चोरी सही बा...सही कह रही हैं आप बिना इजाज़त ब्लॉग की चोरी सही बात नहीं है। Pallavi saxenahttps://www.blogger.com/profile/10807975062526815633noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5955233793822175648.post-48251306082703301802012-12-21T02:04:54.781-08:002012-12-21T02:04:54.781-08:00इस बारे में अधिक जानकारी नहीं है ... फिर भी पता कर...इस बारे में अधिक जानकारी नहीं है ... फिर भी पता करके बताने की कोशिश करूंगी संगीता स्वरुप ( गीत )https://www.blogger.com/profile/18232011429396479154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5955233793822175648.post-76161558122370628232012-12-21T00:06:30.280-08:002012-12-21T00:06:30.280-08:00प्रतिभा जी , ये चोरों का ज़माना है ! हम तो बहुत लम्...<br />प्रतिभा जी , ये चोरों का ज़माना है ! हम तो बहुत लम्बे समय से इस दुःख को झेल रहे हैं ! ब्लॉग भी चोरी करते हैं ये लोग और फेसबुक की टिप्पणियां जहाँ "शेयर' आप्शन होता है , तब भी शेयर नहीं करते बल्कि कट-पेस्ट कर लेते हैं अपनी वॉल पर अपने नाम से। आपत्ति करने पर बेशर्मी से जवाब देते हैं ! ऐसे अपराध पर रोक लगनी चाहिए ! साहित्य की चोरी सबसे बड़ी चोरी है ! और ये अखबार वाले तो हम लोगों के मौलिक लेखन की ही कमाई खा रहे हैं ! खुद कुछ करते नहीं , दूसरों का चुरा लेते हैं ! कामचोर कहीं के!ZEALhttps://www.blogger.com/profile/04046257625059781313noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5955233793822175648.post-50613784459339213462012-12-20T23:41:48.979-08:002012-12-20T23:41:48.979-08:00मैंने पूर्व में ही अपनी प्रतिक्रिया दी थी.मैंने पूर्व में ही अपनी प्रतिक्रिया दी थी.Rahul Singhhttps://www.blogger.com/profile/16364670995288781667noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5955233793822175648.post-88575218828799985102012-12-20T23:35:22.208-08:002012-12-20T23:35:22.208-08:00आपके साथ शायद पहली बार घटा है अतः परेशान हैं ...
ह...आपके साथ शायद पहली बार घटा है अतः परेशान हैं ...<br />हिंदी ब्लॉग जगत में हर तरह के लोग हैं बस अपने आपको पाठक मानने वाले अथवा कम जानकार नहीं हैं ! अधिकतर अपने आपको कम से कम साहित्यकार , कवि तथा सम्पादक समझते हैं और अच्छे अच्छों को समझाने और ज्ञान देने की क्षमता रखते हैं :))<br />अगर यह विश्वास न हो तो जिसे आप भलीभांति समझती हों, उन्हें उनकी गलती समझाने का प्रयत्न करें , आपको तुरंत महसूस करा दिया जाएगा कि आपने हिंदी कभी पढ़ी ही नहीं है ! :))<br />मैं आशा करता हूँ कि आप मेरे इन शब्दों पर भरोसा नहीं करेंगीं और यही ठीक रहेगा ! :)<br />फिलहाल तो मेरे विचार से, आपकी समस्या का कोई निदान नहीं दिखता समय के साथ गूगल ही कुछ करे तो हो सकता है ! <br />सादर <br />Satish Saxena https://www.blogger.com/profile/03993727586056700899noreply@blogger.com