tag:blogger.com,1999:blog-5955233793822175648.post3398550597740200129..comments2024-02-08T23:02:04.166-08:00Comments on लालित्यम्: तृप्ति की क्वालिटी प्रतिभा सक्सेनाhttp://www.blogger.com/profile/12407536342735912225noreply@blogger.comBlogger9125tag:blogger.com,1999:blog-5955233793822175648.post-16350867169834511512021-02-16T21:55:24.614-08:002021-02-16T21:55:24.614-08:00पहेली बहुत बढ़िया रही । आपका जवाब पढ़ कर ही समझ पाए ...पहेली बहुत बढ़िया रही । आपका जवाब पढ़ कर ही समझ पाए ।<br />मॉर्डन करियाँ शब्द मस्त है । आप भी न चुन चुन कर प्रसंग उठाती है । बचपन में दादी और माँ को ऐसे ही काम करते और खाना खिलाते देखा । कितनी ही यादें शामिल हो गईं इस लेख को पढ़ते पढ़ते ।संगीता स्वरुप ( गीत )https://www.blogger.com/profile/18232011429396479154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5955233793822175648.post-8006215898051841022020-10-16T10:26:23.850-07:002020-10-16T10:26:23.850-07:00जीअनिता जी,पहेली का अर्थ सुनिये, हाँ बरोठा का मतलब...जीअनिता जी,पहेली का अर्थ सुनिये, हाँ बरोठा का मतलब है ड्योढ़ी घर के अन्दर होते हुए भी बाहर से जोड़े रखती है(एक प्रकार से संधि स्थल)-<br /><br />लोक-जीवन से संबद्ध है यह पहेली, जिसके मन में रोटी के साथ लकड़ी के चूल्हे का संबंध जुड़ा है.<br />पहेली का उत्तर - रोटी.<br />रोटी पहले चूल्हे पर चढ़े तवे से उतरती है ,फिर चूल्हे के मुहाने पर खड़ा कर फुलाई और सेंकी जाती है.<br />हो गया न समाधान?<br /><br /> प्रतिभा सक्सेनाhttps://www.blogger.com/profile/12407536342735912225noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5955233793822175648.post-21457939756856497052020-10-16T04:49:03.292-07:002020-10-16T04:49:03.292-07:00सही कहा अमृता जी जिसने तृप्ति जानी है वही बता सकता...सही कहा अमृता जी जिसने तृप्ति जानी है वही बता सकता है तृप्ति का स्वाद....।<br />सच में पूरे मन से अनेक तरीकों से परिवार के कोई विशिष्ट ही रसोई सम्भालता...।<br />बहुत ही बीती बातें याद दिला दी आपने।<br />Sudha Devranihttps://www.blogger.com/profile/07559229080614287502noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5955233793822175648.post-90797087970306193602020-10-16T03:41:08.683-07:002020-10-16T03:41:08.683-07:00पहेली का अर्थ तो आप ही बताएं,अनुमान लगाया है कि वह...पहेली का अर्थ तो आप ही बताएं,अनुमान लगाया है कि वह मोहतरमा जो खाना पकाने की झंझट से दूर रहना चाहती हैं, आपका लेख पढ़ते पढ़ते बचपन में खाये सुस्वादु व्यंजनों की स्मृति हो आयी Anitahttps://www.blogger.com/profile/17316927028690066581noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5955233793822175648.post-39588324168680626512020-10-15T10:24:18.748-07:002020-10-15T10:24:18.748-07:00आभार श्वेता जी.आभार श्वेता जी.प्रतिभा सक्सेनाhttps://www.blogger.com/profile/12407536342735912225noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5955233793822175648.post-73716297955457909162020-10-15T05:05:33.482-07:002020-10-15T05:05:33.482-07:00सटीक लाजवाब लेखन। सटीक लाजवाब लेखन। सुशील कुमार जोशीhttps://www.blogger.com/profile/09743123028689531714noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5955233793822175648.post-14197851567696542322020-10-15T04:31:31.973-07:002020-10-15T04:31:31.973-07:00जिसमें तृप्ति जानी है वही बता सकता है तृप्ति का स्...जिसमें तृप्ति जानी है वही बता सकता है तृप्ति का स्वाद । जो कि अब सच में कहीं नहीं मिलता है । आधुनिक भोजन शैली क्या जाने उन दिनों की बात ।Amrita Tanmayhttps://www.blogger.com/profile/06785912345168519887noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5955233793822175648.post-10781080573034394882020-10-15T03:45:52.571-07:002020-10-15T03:45:52.571-07:00बहुत सुन्दर।बहुत सुन्दर।डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'https://www.blogger.com/profile/09313147050002054907noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5955233793822175648.post-45731673469302599242020-10-15T02:20:15.503-07:002020-10-15T02:20:15.503-07:00जी नमस्ते,
आपकी लिखी रचना शुक्रवार १६ अक्टूबर २०२०...जी नमस्ते,<br />आपकी लिखी रचना शुक्रवार १६ अक्टूबर २०२० के लिए साझा की गयी है<br /><a href="http://halchalwith5links.blogspot.com/" rel="nofollow">पांच लिंकों का आनंद</a> पर...<br />आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।Sweta sinhahttps://www.blogger.com/profile/09732048097450477108noreply@blogger.com