tag:blogger.com,1999:blog-5955233793822175648.post1257591551441432664..comments2024-02-08T23:02:04.166-08:00Comments on लालित्यम्: राग-विराग - 13.प्रतिभा सक्सेनाhttp://www.blogger.com/profile/12407536342735912225noreply@blogger.comBlogger6125tag:blogger.com,1999:blog-5955233793822175648.post-39093021959793103262022-02-08T06:00:53.117-08:002022-02-08T06:00:53.117-08:00सचमुच बहुत ही अद्भुत एवं लाजवाब सृजन
रत्नावली के व...सचमुच बहुत ही अद्भुत एवं लाजवाब सृजन<br />रत्नावली के विषय में जाना वे भी लिखती थी , उनके मनोभाव व नन्ददास की उनके प्रति श्रद्धा...<br />दिल से धन्यवाद एवं आभार ये ज्ञान हम तक शेयर करने हेतु।Sudha Devranihttps://www.blogger.com/profile/07559229080614287502noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5955233793822175648.post-13972450940306652922021-06-25T07:06:14.959-07:002021-06-25T07:06:14.959-07:00वाह निरन्तरता बनी रहे। वाह निरन्तरता बनी रहे। सुशील कुमार जोशीhttps://www.blogger.com/profile/09743123028689531714noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5955233793822175648.post-25686842587927643442021-06-15T04:36:19.267-07:002021-06-15T04:36:19.267-07:00बहुत ही लाजवाब सृजनबहुत ही लाजवाब सृजनMANOJ KAYALhttps://www.blogger.com/profile/13231334683622272666noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5955233793822175648.post-70302332272907961892021-06-14T07:42:35.285-07:002021-06-14T07:42:35.285-07:00आज की यह कड़ी पूर्णत: रत्ना को समर्पित है... रत्ना ...आज की यह कड़ी पूर्णत: रत्ना को समर्पित है... रत्ना इसलिये कहा कि आज रत्ना एक सामान्य नारी रूप प्रस्तुत है हमारे सामने... एक गृहिणी, एक पुत्री, एक महापुरुष की पत्नी, जो अपने माय्के और ससुराल के मध्य सामंजस्य बिठाती है... स्वयम अपने ही तर्क गढ़ती है और अपने मन को समझाती है... अपने स्वामी को महापुरुष और स्वयम को उसकी परछाईं मानती है... अपना संसार अपने बल बूते पर चलाती हुई, किसी के प्रति कोई दुर्भावना नहीं व्यक्त करती है!<br />नंददास की मनोदशा का भी उनके और उनकी भावज के सम्वादों के माध्यम से बहुत ही सुंदर चित्रण किया है! कुल मिलाकर एक अद्भुत यात्रा के यात्री बने हैं हम सब और आप हैं हमारी गाइड!<br />सादर प्रणाम माँ!!चला बिहारी ब्लॉगर बननेhttps://www.blogger.com/profile/05849469885059634620noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5955233793822175648.post-21344340073553117022021-06-13T02:48:20.157-07:002021-06-13T02:48:20.157-07:00इस कड़ी में रत्नावली से परिचय हो रहा ..... नतमस्तक ...इस कड़ी में रत्नावली से परिचय हो रहा ..... नतमस्तक हैं कि इतने महान ग्रन्थ के पीछे उनका त्याग है . संगीता स्वरुप ( गीत )https://www.blogger.com/profile/18232011429396479154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5955233793822175648.post-74392343029346456692021-06-12T22:50:40.287-07:002021-06-12T22:50:40.287-07:00रत्नावली के मन की बनावट ही कुछ अलग थी, समाज के बने...रत्नावली के मन की बनावट ही कुछ अलग थी, समाज के बने बनाये ढांचे में वह फिट नहीं हो सकती थी, इसलिए उनका जीवन भी ऐसा रहा, समाज से कटकर वह नहीं रह सकती थी इसलिए शिक्षा देने का कार्य करती रही, उसके जीवन को प्रकाशित करने के लिए आपको साधुवाद ! Anitahttps://www.blogger.com/profile/17316927028690066581noreply@blogger.com