tag:blogger.com,1999:blog-5955233793822175648.post124649305385990532..comments2024-02-08T23:02:04.166-08:00Comments on लालित्यम्: कृष्ण-सखी - समापन (59.&60).प्रतिभा सक्सेनाhttp://www.blogger.com/profile/12407536342735912225noreply@blogger.comBlogger3125tag:blogger.com,1999:blog-5955233793822175648.post-17937819533773390942012-09-27T22:52:49.366-07:002012-09-27T22:52:49.366-07:00आपकी कलम से पांचाली को पढ़ना बहुत ही अच्छा लगा .....आपकी कलम से पांचाली को पढ़ना बहुत ही अच्छा लगा ...आभारसदाhttps://www.blogger.com/profile/10937633163616873911noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5955233793822175648.post-47432167895945070952012-09-27T17:37:29.546-07:002012-09-27T17:37:29.546-07:00पांचाली का यूँ छूट जाना संवेदनाओं को तरंगित कर रह...पांचाली का यूँ छूट जाना संवेदनाओं को तरंगित कर रहा है ...<br />इस अनिंद्य ख़ूबसूरती को भी यह अंत देखना था !<br />आपकी लेखन शैली बहुत रोचक है , दर्द भी रसभरा लगता है !वाणी गीतhttps://www.blogger.com/profile/01846470925557893834noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5955233793822175648.post-43331283798314438882012-09-27T12:03:06.876-07:002012-09-27T12:03:06.876-07:00पांचाली को पढ़ते हुये कितनी ही बातें ऐसी मिलीं ज...पांचाली को पढ़ते हुये कितनी ही बातें ऐसी मिलीं जिनपर मन सोचने पर मजबूर हो गया .... आभार संगीता स्वरुप ( गीत )https://www.blogger.com/profile/18232011429396479154noreply@blogger.com