tag:blogger.com,1999:blog-5955233793822175648.post8048704519533460830..comments2024-02-08T23:02:04.166-08:00Comments on लालित्यम्: जागो !तामसी , आज फिर जागो !प्रतिभा सक्सेनाhttp://www.blogger.com/profile/12407536342735912225noreply@blogger.comBlogger15125tag:blogger.com,1999:blog-5955233793822175648.post-42539218185883130742017-06-26T07:36:01.946-07:002017-06-26T07:36:01.946-07:00apne aap se bhi samjota koi jaan kar kese karle......apne aap se bhi samjota koi jaan kar kese karle....chandra ka adha bhaag poonam ko bhi andhere me rahta hai magar chndra dekhta surya ko hi hai...rat ke andhere me bhi...keval chandra ko hi dikhta hai suraj...or fir wo apne prakash se puri prithvi ko prakashit karta hai...wo bhi andhere me doob jaye to puri prithvi par sada hi amavas rahe...kamal tanwarhttps://www.blogger.com/profile/17074701700781166474noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5955233793822175648.post-91127364561515691792013-07-13T21:12:45.665-07:002013-07-13T21:12:45.665-07:00आदरेया आपकी यह अप्रतिम प्रस्तुति 'निर्झर टाइम्...आदरेया आपकी यह अप्रतिम प्रस्तुति 'निर्झर टाइम्स' पर लिंक की गई है। कृपया http://nirjhar-times.blogspot.in पर अवलोकन करें,आपका स्वागत है।<br />सादरVindu babuhttps://www.blogger.com/profile/11965183591803020118noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5955233793822175648.post-21729669373762623382013-07-13T21:10:02.265-07:002013-07-13T21:10:02.265-07:00आदरेया आपकी यह अप्रतिम प्रस्तुति 'निर्झर टाइम्...आदरेया आपकी यह अप्रतिम प्रस्तुति 'निर्झर टाइम्स' पर लिंक की गई है। कृपया http://nirjhar-times.blogspot.in पर अवलोकन करें,आपका स्वागत है।<br />सादरVindu babuhttps://www.blogger.com/profile/11965183591803020118noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5955233793822175648.post-7822542540930573372013-07-11T08:47:29.450-07:002013-07-11T08:47:29.450-07:00गहन दार्शनिक विचारपूर्ण अभिव्यक्ति।।।गहन दार्शनिक विचारपूर्ण अभिव्यक्ति।।।Ankur Jainhttps://www.blogger.com/profile/17611511124042901695noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5955233793822175648.post-78030153626407572642013-07-11T01:32:03.898-07:002013-07-11T01:32:03.898-07:00आपका आलेख कई बार पढ़ा, हरेक बार और भी सार्थक लगा औ...आपका आलेख कई बार पढ़ा, हरेक बार और भी सार्थक लगा और एक नया विचार दे गया...गहन दर्शन को रोचकता से प्रस्तुत करने में आपकी लेखनी का ज़वाब नहीं...बहुत उत्कृष्ट प्रस्तुति...आभार Kailash Sharmahttps://www.blogger.com/profile/12461785093868952476noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5955233793822175648.post-41143143332696534662013-07-09T22:24:23.273-07:002013-07-09T22:24:23.273-07:00बहुत सी गहन बातें कह दी हैं आपनेबहुत सी गहन बातें कह दी हैं आपनेसंजय भास्कर https://www.blogger.com/profile/08195795661130888170noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5955233793822175648.post-16537962243992958292013-07-09T14:18:42.590-07:002013-07-09T14:18:42.590-07:00मैने युग के परिप्रेक्ष्य में विषय को लिया है और मे...मैने युग के परिप्रेक्ष्य में विषय को लिया है और मेरा दृष्टिकोण प्रचलित पुरा-कथाओं में युगीन समस्याओं के समाधान की खोज का है,साथ ही धर्म-सिद्धान्तों का निरूपण और शास्त्रीय गूढ़ता के स्थान पर व्यावहारिकता और सहज-ग्राह्यता बनी रहे यह मेरा प्रयत्न रहा. दर्शन और धर्म के गूढ-गहन तत्वों की विवेचना और व्याख्या मेरा उद्देश्य नहीं. पुरुष ब्रह्म स्वरूप है- दृष्टा, उपदेष्टा ,विचारक ,इच्छाकर्ता और प्रकृति मात्र आदेश-पालनकर्त्री- यह जान कर आज का पुरुष जो कर रहा है वह व्यवहार में सामने आ रहा है. वहाँ भी थोड़ा अंकुश लगना चाहिये वैसे सबका अपना दृष्टि-कोण- अपनी सोच. पुराकथाओं के प्रचलित रूप को सुधारने के लिये और धार्मिक-दार्शनिक पारिभाषिक शब्दों की व्याख्या के लिये अलग से पोस्ट लिखी जा सकती है. जागो !तामसी , आज फिर जागो ! पर<br />प्रतिभा सक्सेनाhttps://www.blogger.com/profile/12407536342735912225noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5955233793822175648.post-44914167641568686202013-07-09T10:13:52.680-07:002013-07-09T10:13:52.680-07:00-----यह इतना सुगम विषय नहीं है कि ...नारी के बिना ...-----यह इतना सुगम विषय नहीं है कि ...नारी के बिना नर कुछ नहीं कर सकता ...<br />---मूलतः नर ..ब्रह्म स्वरुप है दृष्टा, उपदेस्टा,विचारक एवं इच्छाकर्ता ...उसी के इन क्रियाओं के पश्चात ही आदेश पालन कर्ता प्रकृति अपना कार्य कर पाती है.... <br />----प्रकृति कभी ब्रह्म या पुरुष को उपदेश नहीं करती क्योंकि सिर्फ सत का विचार, उपदेश, या भाव-उत्थान भी अत्यावश्यक है( यथा योगी,साधू-संत,उपदेष्टा,विचारक आदि का कर्म)...,अन्यथा लोग और आगे जाकर इन सब को निठल्ला व सिर्फ शारीरिक-श्रम को ही कर्म मानने लगेंगे और समाज में वैचारिक शून्यता व अश्रेष्ठता उत्पन्न होने लगेगी .. <br />---देवी मद पीती है =अधर्मी का गर्व नाश ...वह मदिरा नहीं पीती ...रक्त पीती है = जड़ मूल से विनाश ...रक्त नहीं पीती...मांस भक्षी है = समाज के समस्त प्रकार के हर अंग के अधर्म का विनाश ...मांस भक्षी नहीं...ये रूपक कथन हैं ...<br />--- निश्चय ही प्रकृति रज व तम का रूप है परन्तु तामस नहीं ,वह प्रत्येक अति को सामंजस्य हेतु है स्वयं कभी तामस भाव ग्रहण नहीं करती...<br />----ये सारी निर्मूल कथाएं तो वैदिक-तत्व धर्म के विरोध में भ्रष्ट साक्त व अघोरी सम्प्रदाय वालों व मांस-मदिरा के प्रेमी धूर्त लोगों ने स्वार्थवश खडी की हुई हैं ..डा श्याम गुप्तhttps://www.blogger.com/profile/03850306803493942684noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5955233793822175648.post-35541502605250215992013-07-09T02:16:09.494-07:002013-07-09T02:16:09.494-07:00बहुत उम्दा लाजबाब अभिव्यक्ति ,,
RECENT POST: गुजा...<b>बहुत उम्दा लाजबाब अभिव्यक्ति ,,</b><br /><br /><b>RECENT POST</b><a href="http://dheerendra11.blogspot.in/2013/07/blog-post_5.html#links" rel="nofollow">: गुजारिश,</a>धीरेन्द्र सिंह भदौरिया https://www.blogger.com/profile/09047336871751054497noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5955233793822175648.post-40144974694894526662013-07-09T01:37:42.353-07:002013-07-09T01:37:42.353-07:00अद्भुत है आपकी लेखनी .अद्भुत है आपकी लेखनी .shikha varshneyhttps://www.blogger.com/profile/07611846269234719146noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5955233793822175648.post-86261296565823336612013-07-08T22:54:04.605-07:002013-07-08T22:54:04.605-07:00 बहुत खूब, खूबशूरत अहसाह सार्थक प्रस्तुति
... बहुत खूब, खूबशूरत अहसाह सार्थक प्रस्तुति <br /><br /> अज़ीज़ जौनपुरीhttps://www.blogger.com/profile/16132551098493345036noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5955233793822175648.post-62358081742071810872013-07-08T21:53:27.205-07:002013-07-08T21:53:27.205-07:00थोड़ा सत रज तम मिले, भिन्न भिन्न अनुपात |
प्रस्तुति...थोड़ा सत रज तम मिले, भिन्न भिन्न अनुपात |<br />प्रस्तुति शुभ-गंभीर अति, महत्वपूर्ण दिन रात | <br />महत्वपूर्ण दिन रात, एक बिन अन्य अधूरा |<br />घटती बढ़ती ज्योति, योग पर पूरा पूरा |<br />गोरख कर बदलाव, खाव खिचड़ी जो छोड़ा |<br />रखना तू समभाव, नहीं कुछ थोड़म-थोड़ा ||रविकर https://www.blogger.com/profile/00288028073010827898noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5955233793822175648.post-53530368761673744632013-07-08T20:21:32.586-07:002013-07-08T20:21:32.586-07:00मीठे के साथ कडवे का अनुपात स्वाभाविक है , आवश्यक ब...मीठे के साथ कडवे का अनुपात स्वाभाविक है , आवश्यक बी ....समयनुसार परिवर्तन आवश्यक है , यदि सैनिक युद्धक्षेत्र में शांति की बात करेगा तो कायर कहलायेगा ...<br />व्यवहारिकता पर अच्छा विमर्श देवी के माध्यम से !<br />आपकी लेखनी कमाल है ! वाणी गीतhttps://www.blogger.com/profile/01846470925557893834noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5955233793822175648.post-46165873015245304672013-07-08T11:53:50.388-07:002013-07-08T11:53:50.388-07:00satya hai nari bina purush aur vah bhi sugrahni bi...satya hai nari bina purush aur vah bhi sugrahni bina purush bhatkne ke sivay aur kar hi kya sakta hai nitant akela hai vah aur kuchh nahi .Shalini kaushikhttps://www.blogger.com/profile/10658173994055597441noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5955233793822175648.post-6414109483835124732013-07-08T11:04:50.299-07:002013-07-08T11:04:50.299-07:00संसार से विरक्त हो कर केवल अपना ही आत्मोत्थान ......संसार से विरक्त हो कर केवल अपना ही आत्मोत्थान ... बहुत सी गहन बातें आपने इस कथा में सहजता से कह दी हैं .... नारी के बिना पुरुष नीरा एकाकी , अरूप .... संगीता स्वरुप ( गीत )https://www.blogger.com/profile/18232011429396479154noreply@blogger.com