tag:blogger.com,1999:blog-5955233793822175648.post6716592044466446676..comments2024-02-08T23:02:04.166-08:00Comments on लालित्यम्: नारीत्व की देह-यात्राप्रतिभा सक्सेनाhttp://www.blogger.com/profile/12407536342735912225noreply@blogger.comBlogger8125tag:blogger.com,1999:blog-5955233793822175648.post-68792614815458827322015-06-18T00:45:03.589-07:002015-06-18T00:45:03.589-07:00अपना सौभाग्य ही कहूँगी की आज ये लेख मैं एक ही बा...अपना सौभाग्य ही कहूँगी की आज ये लेख मैं एक ही बार में निर्विघ्न पढ़ पायी. मैं तो चाहती हूँ इस लेख को मैं अपने लिए सरंक्षित कर लूँ. और बार बार पढूं, मानो धरती के जन्म से अब तक की स्त्री के हालातों का, अब और तब की स्त्री की स्थिति का पूरा लेखा-जोखा है जिसे मैं बार बार पढना चाहूंगी. आपके अध्ययन और आपके इसे यहाँ प्रस्तुत करने की मेहनत के लिए नत-मस्तक हूँ. <br /><br />यूँ ही बे-खटका कभी कभी आती रहूंगी. <br /><br />:)<br />अनामिका की सदायें ......https://www.blogger.com/profile/08628292381461467192noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5955233793822175648.post-80415291829594652852015-03-30T22:31:31.233-07:002015-03-30T22:31:31.233-07:00सार्थकता अनुभव कर रही हूँ - आभार !सार्थकता अनुभव कर रही हूँ - आभार !प्रतिभा सक्सेनाhttps://www.blogger.com/profile/12407536342735912225noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5955233793822175648.post-37537376597027173852015-03-27T01:33:05.157-07:002015-03-27T01:33:05.157-07:00सौभाग्य से आज आपका यह दीर्घ, सार गर्भित लेख पढने क...सौभाग्य से आज आपका यह दीर्घ, सार गर्भित लेख पढने का अवसर मिला..अचरज होता है कैसे इतना अध्ययन आप करती हैं और अपने विचारों को एक व्यवस्थित रूप देकर विषय को इतनी गहराई से प्रस्तुत करती हैं. नारी का स्थान समाज में आज भी समानता का तो नहीं है, आये दिन होने वाली घटनाएँ इसकी साक्षी हैं, पर समय बदल रहा है और आने वाला युग नारी का है..इस शोधपरक लेखन के लिए बहुत बहुत बधाई !Anitahttps://www.blogger.com/profile/17316927028690066581noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5955233793822175648.post-73420441594344678062015-03-19T22:26:22.758-07:002015-03-19T22:26:22.758-07:00दो बार पढ़ने के बाद अब भी लग रहा है कि इसे एक बार ...दो बार पढ़ने के बाद अब भी लग रहा है कि इसे एक बार और पढ़ना चाहिए। उपकृत तो हम सब हुए हैं इस नायाब पीस को पढ़कर।।। Rahul...https://www.blogger.com/profile/11381636418176834327noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5955233793822175648.post-22461667545601885982015-03-19T08:17:10.266-07:002015-03-19T08:17:10.266-07:00इतना समय और अवधान दे कर आपने यह लेख पढ़ा - अपना लि...इतना समय और अवधान दे कर आपने यह लेख पढ़ा - अपना लिखना सफल लग रहा है .आभारी हूँ राजेन्द्र जी !प्रतिभा सक्सेनाhttps://www.blogger.com/profile/12407536342735912225noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5955233793822175648.post-29173709937637891752015-03-19T03:03:13.921-07:002015-03-19T03:03:13.921-07:00अद्भुत लेख! आभार और नमन। सभ्यता और संस्कृति के उदय...अद्भुत लेख! आभार और नमन। सभ्यता और संस्कृति के उदय के साथ ही व्यक्ति बनाम समाज का टकराव शुरू हो गया था। समाज की बलिवेदी पर व्यक्ति के हित कुर्बान किए गए। व्यक्तियों में भी निर्बलों के हित नष्ट किए गए । हाँ, निर्बलों में भी नारी की मूलभूत जैविक-प्रवृतियों का शमन और दमन किया गया। आपका लेख पढ़ते हुए फिल्म 'तीसरी कसम' से शैलेन्द्र का गीत याद आ गया -- <br />काहे बनाए तूने माटी के पुतले,<br />धरती ये प्यारी प्यारी मुखड़े ये उजले<br />काहे बनाया तूने दुनिया का खेला - २<br />जिसमें लगाया जवानी का मेला<br />गुप-चुप तमाशा देखे, वाह रे तेरी खुदाई<br />काहेको दुनिया बनाई, तूने काहेको दुनिया बनाई ..राजेंद्र गुप्ता Rajendra Guptahttps://www.blogger.com/profile/01811091966460872948noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5955233793822175648.post-19056163663235302212015-03-18T21:15:42.625-07:002015-03-18T21:15:42.625-07:00 इतना लंबा निबंध - जो मुझे यहाँ के उपयुक्त नहीं लग... इतना लंबा निबंध - जो मुझे यहाँ के उपयुक्त नहीं लग रहा था किसी कारणवश आज ब्लाग पर डाला -आपने ध्यान से पढ़ा और गुना मैं उपकृत हुई .प्रतिभा सक्सेनाhttps://www.blogger.com/profile/12407536342735912225noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5955233793822175648.post-875236216982741072015-03-18T20:27:40.040-07:002015-03-18T20:27:40.040-07:00ठोस तथ्यों व सन्दर्भों के साथ नारीत्व की देहयात्रा...ठोस तथ्यों व सन्दर्भों के साथ नारीत्व की देहयात्रा का जिस तरह आपने समग्र तरीके से तस्वीर उकेरी है, वो लाजवाब है। मानवीय स्तर पर पुरुष-नारी के सहज सतत प्राकृतिक विकास व पूर्णता को लेकर आपकी चिंता वाजिब है। एक कामयाब पोस्ट। <br />Rahul...https://www.blogger.com/profile/11381636418176834327noreply@blogger.com