tag:blogger.com,1999:blog-5955233793822175648.post4768715633848273590..comments2024-02-08T23:02:04.166-08:00Comments on लालित्यम्: एक थी तरु- 12.& 13.प्रतिभा सक्सेनाhttp://www.blogger.com/profile/12407536342735912225noreply@blogger.comBlogger4125tag:blogger.com,1999:blog-5955233793822175648.post-13553925979711363512011-04-14T09:20:29.917-07:002011-04-14T09:20:29.917-07:00तरल का मन, उसकी स्थितियाँ, सब मुखर हो आया है इस अं...तरल का मन, उसकी स्थितियाँ, सब मुखर हो आया है इस अंश में।<br />जब बहुत कुछ हो कहने को लेकिन नहीं कह पाने को कोई योग्य पात्र न मिले, कैसा कसैला कसैला सा हो जाता है मन।<br />मौन ही सबसे उचित लगता है, टाल देना श्रेयस्कर।<br />तरल के पिताजी, उनके मनोभाव जाने, जीवन कितना विवश कर देता है।<br />तरल, असित के साथ उनके सम्बन्ध आगे कहाँ जाएँ, कैसे जाएँ, प्रतीक्षा रहेगी।<br /><br />इस बाँध देने वाले अंश के लिए आभार स्वीकारें।Avinash Chandrahttps://www.blogger.com/profile/01556980533767425818noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5955233793822175648.post-23421936101260266762011-04-12T16:32:49.431-07:002011-04-12T16:32:49.431-07:00आभार।
जीवन को व्याख्यायित करने का एक नया नजरिया...आभार।<br /><br />जीवन को व्याख्यायित करने का एक नया नजरिया।<br /><br />............<br /><b><a href="http://za.samwaad.com/" rel="nofollow">ब्लॉगिंग को प्रोत्साहन चाहिए?</a></b><br /><a href="http://ts.samwaad.com/" rel="nofollow">लिंग से पत्थर उठाने का हठयोग।</a>Dr. Zakir Ali Rajnishhttps://www.blogger.com/profile/03629318327237916782noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5955233793822175648.post-80543147874316369162011-04-12T11:02:00.453-07:002011-04-12T11:02:00.453-07:00''तरु चुप ,कोई उत्तर नहीं ,कोई समाधान नहीं...''तरु चुप ,कोई उत्तर नहीं ,कोई समाधान नहीं .बस बात टाल देना. ''<br /><br />आत्मीयता अक्सर ह्रदय को बहुत संवेदनशील स्थानों पर अत्यधिक सहजता से स्पर्श कर दिया करती है.....फलस्वरूप अस्तित्व झनझना उठता है.....ऐसे में तटस्थता व्यक्तिगत रूप से उपचार का काम करती है........प्रश्न दर प्रश्न स्वयं के कटने से बेहतर संबंध दर संबंध दुनिया से कटना लगता है......<br /><br />**<br />पहले नहीं सुहाया असित का तरु से इस तरह मैत्री बढ़ाना... ...बाद में सोचा तो लगा कि क्या गलत है....एक रिश्ते में यदि उसे राहत मिलती भी है तो.....बशर्ते यहाँ धोखा न हो...<br /><br />विपरीत परिस्थितयां कहाँ ले जाकर इस उपन्यास के पात्रों को छोड़ेंगी..अब यही उत्सुकता होती है....Taruhttps://www.blogger.com/profile/08735748897257922027noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5955233793822175648.post-75258317194010821162011-04-11T22:52:06.148-07:002011-04-11T22:52:06.148-07:00रोचक प्रसंग। आगे का इंतज़ार।रोचक प्रसंग। आगे का इंतज़ार।मनोज कुमारhttps://www.blogger.com/profile/08566976083330111264noreply@blogger.com