tag:blogger.com,1999:blog-5955233793822175648.post4167681786015522049..comments2024-02-08T23:02:04.166-08:00Comments on लालित्यम्: एक थी तरु - 8 . & 9.प्रतिभा सक्सेनाhttp://www.blogger.com/profile/12407536342735912225noreply@blogger.comBlogger5125tag:blogger.com,1999:blog-5955233793822175648.post-69746312255882097012011-03-21T19:17:27.641-07:002011-03-21T19:17:27.641-07:00प्रतिभा जी ,
कथा के प्रवाह में मैं बहती चली गई। ...प्रतिभा जी ,<br /> कथा के प्रवाह में मैं बहती चली गई। समाप्ति एकदम खटक गई।<br />सारे पात्र और घटनाएँ आँखों के सामने दृश्य सा प्रस्तुत कर गईं।<br />यह सहज स्वाभाविक वाद-संवाद और चित्रण मन पर छा सा गया।<br />उत्सुकता बनी हुई है- अगली किश्त की प्रतीक्षा रहेगी।।शकुन्तला बहादुरnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5955233793822175648.post-89963622970247866382011-03-21T18:47:20.206-07:002011-03-21T18:47:20.206-07:00बहुत अच्छा लगा आपकी रचनाएँ पढ़ना वास्तव में बहाव म...बहुत अच्छा लगा आपकी रचनाएँ पढ़ना वास्तव में बहाव महसूस हुआ कि एक बार पढ़ो तो आगे के लिए उत्सुकता बन जाती हैवन्दनाhttp://vandana-kuchhkahe.blogspot.comnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5955233793822175648.post-15125873352983828502011-03-17T11:38:03.101-07:002011-03-17T11:38:03.101-07:00बच्चे ज़्यादा नज़दीक नज़र आते हैं पिताजी के......
...बच्चे ज़्यादा नज़दीक नज़र आते हैं पिताजी के......<br />बार बार गौतम के पिता का चेहरा आँखों के आगे उभरता रहा.....आखिरी हिस्से में वो स्थान गौतम की माताजी ने ले लिया........<br />बहुत सजीव शब्द चित्रण.....<br /><br />आभार इस अंक के लिए...अगले अंक की प्रतीक्षा रहेगी.....Taruhttps://www.blogger.com/profile/08735748897257922027noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5955233793822175648.post-74967159852394499072011-03-17T03:46:17.811-07:002011-03-17T03:46:17.811-07:00बहुत ही मार्मिक लिखती हैं आप ...अगली कड़ी के लिए उत...बहुत ही मार्मिक लिखती हैं आप ...अगली कड़ी के लिए उत्सुकता बढ़ गयी है ..ZEALhttps://www.blogger.com/profile/04046257625059781313noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5955233793822175648.post-21642165167232185712011-03-17T01:45:33.907-07:002011-03-17T01:45:33.907-07:00पढ़ रहा हूँ यह मुग्ध करने वाला विवरण।
सूक्ष्म कूची ...पढ़ रहा हूँ यह मुग्ध करने वाला विवरण।<br />सूक्ष्म कूची से रंग जैसे सब जीवंत हो उठता है, शन्नो की डबडबाई आँखें, गौतम और तरु!<br />प्रतीक्षा रहेगी आगे जानने की।<br />आभार।Avinash Chandrahttps://www.blogger.com/profile/01556980533767425818noreply@blogger.com