tag:blogger.com,1999:blog-5955233793822175648.post2768347433828634625..comments2024-02-08T23:02:04.166-08:00Comments on लालित्यम्: भानमती की बात - 2 (अरे,अरे,अरे !)प्रतिभा सक्सेनाhttp://www.blogger.com/profile/12407536342735912225noreply@blogger.comBlogger11125tag:blogger.com,1999:blog-5955233793822175648.post-23207055905403712792011-03-03T02:03:19.883-08:002011-03-03T02:03:19.883-08:00बहुत सही.बहुत सही.वन्दना अवस्थी दुबेhttps://www.blogger.com/profile/13048830323802336861noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5955233793822175648.post-45911261215705687462011-03-02T23:50:39.059-08:002011-03-02T23:50:39.059-08:00प्रतिभा जी आपकी खरी खरी पोस्ट पढ़ कर आनंद आ गया .मे...प्रतिभा जी आपकी खरी खरी पोस्ट पढ़ कर आनंद आ गया .मेरा भी सारा दिन कुछ इस तरह की ही बातें अपने आस पास वालों को कहने में निकल जाता है ..पीठ पीछे लोग कहतें है कि अरे यह तो सनकी है..anjuhttps://www.blogger.com/profile/10973309285590255427noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5955233793822175648.post-17591152460851028562011-03-02T04:16:45.634-08:002011-03-02T04:16:45.634-08:00यथार्थ की बेबाक प्रस्तुति । अच्छा लगा पढ़ कर ।यथार्थ की बेबाक प्रस्तुति । अच्छा लगा पढ़ कर ।ZEALhttps://www.blogger.com/profile/04046257625059781313noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5955233793822175648.post-52597087876602214232011-02-28T10:14:00.226-08:002011-02-28T10:14:00.226-08:00समीर जी ,कपिला जी ,तरु जी ,
डर मुझे बिलकुल नहीं है...समीर जी ,कपिला जी ,तरु जी ,<br />डर मुझे बिलकुल नहीं है ,ओखली में सिर देने की पुरानी आदत रही है -जो लगता है बिना कहे चैन नहीं पड़ता.<br />केवल कुछ सुनाना चाहती थी उन्हें ,जिन्हें ये बातें नहीं भातीं ,कि उनकी साइकॉलाजी का भान है मुझे.प्रतिभा सक्सेनाhttps://www.blogger.com/profile/12407536342735912225noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5955233793822175648.post-82342219969571789032011-02-28T09:53:57.105-08:002011-02-28T09:53:57.105-08:00'दूसरों की कमियाँ बताती तो अपने लिए गौरव की बा...'दूसरों की कमियाँ बताती तो अपने लिए गौरव की बात होती ,उनकी अच्छाइयाँ सुनने में शायद लज्जा का अनुभव हो और संभव है मुझे कोई ज़ोरदार उपाधि प्रदान कर दी जाय !'<br /><br />ना ना ! प्रतिभा जी...किसी का कद छोटा कर देने से स्वयं का कद लम्बा कैसे कर सकते हैं....और उपाधि?? हम्म.....उसका कुछ नहीं हो सकता...कहीं न कहीं तो frustration निकलेगा ना उनका जिनको अपनी गलतियां स्वीकार नहीं होंगी.....:/<br /><br />''अब जो हो - ओखली में सिर दे ही दिया तो मूसलों का डर क्या !''<br /><br />हम्म...प्रत्यक्ष रूप से दृष्टिगोचर नहीं होता ये भय....मतलब..इस पर भी कोई बढियां सी पंक्तियाँ लिखीं जानी चाहिए थीं.....''एक चीज़ सही न करना..दूसरी चीज़ गलत करना...तीसरी एक और चीज़ होती है......गलत होते हुए देखते रहना उसे रोकने की कोशिश न करना......और कोई रोके अगर तो चुपचाप उसे प्रताड़ित होते देखना......''<br /><br />खैर, आप कहते रहिये जितना कहना है...क्यूंकि अगर लिखने में भी भय छलकेगा तो लोग सोचेंगे ''अरे ! वाह...सही बातें लिखने में भय हो रहा है...तो सही करने में तो और होता होगा.....:(''<br /><br /><br />'अच्छी आदतें लेते ज़ोर पड़ता है .और मौज-मज़े की बातें फौरन सिर चढ़ा लो '<br />इस बात पर आशुतोष राणा (फिल्म कलाकार) की एक बात याद आ rahi है.....उनसे 'फैशन के क्षेत्र में पाश्चात्य संभ्यता का अंधानुकरण' बाबत कुछ पूछा गया था..और उन्होंने जवाब में कहा था.....''आधुनिक विचार अच्छे क्षेत्र में अपनाए जाने चाहिए....आधुनिक दिखने के लिए ये ज़रूरी नहीं कि आपने वेस्टर्न कपड़े शरीर पर पहने हुए हैं....बल्कि वे आपके ज़ेहन पर होने चाहिए..'' मसलन आप पहने हैं मिनी स्कर्ट ...और किसी विधवा स्त्री के पुनर्विवाह पर आपत्ति दर्ज कर रहे हैं......वो भी आज के ज़माने में....तो ये आधुनिकता नहीं आपकी संकीर्ण मानसिकता है...<br /><br />खैर,<br />बधाई एक बेहद संतुलित और ईमानदार पोस्ट के लिए.Taruhttps://www.blogger.com/profile/08735748897257922027noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5955233793822175648.post-57696051640113975582011-02-28T08:55:26.686-08:002011-02-28T08:55:26.686-08:00"अपनी डींग हाँकने में सबसे आगे !.हाँ दूसरों क..."अपनी डींग हाँकने में सबसे आगे !.हाँ दूसरों की फ़ालतू चीज़ों की नकल करने में पीछे नहीं रहेंगे।"<br />सच सुनना बहुत अच्छा लगा, संभवतः कोई जागे।Avinash Chandrahttps://www.blogger.com/profile/01556980533767425818noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5955233793822175648.post-52541031863906218702011-02-28T06:31:03.050-08:002011-02-28T06:31:03.050-08:00विचारोत्तेजक, और सीख देती पोस्ट। बढिया लगा पढकर। आ...विचारोत्तेजक, और सीख देती पोस्ट। बढिया लगा पढकर। आभार।मनोज कुमारhttps://www.blogger.com/profile/08566976083330111264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5955233793822175648.post-20989130278760236812011-02-28T01:56:20.065-08:002011-02-28T01:56:20.065-08:00अच्छी सीख देती पोस्ट ...अब यहाँ और वहाँ का अन्तर ...अच्छी सीख देती पोस्ट ...अब यहाँ और वहाँ का अन्तर तो है ही ...घुट्टी में पिला दिया जाता है छूट लेने का मन्त्र ..सार्थक चिंतनसंगीता स्वरुप ( गीत )https://www.blogger.com/profile/18232011429396479154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5955233793822175648.post-87758460984949532182011-02-27T21:12:25.132-08:002011-02-27T21:12:25.132-08:00सही बात कहते समय डरना काहे? प्रतिभा जी बहुत सार्थक...सही बात कहते समय डरना काहे? प्रतिभा जी बहुत सार्थक चिन्तन है। बधाई।निर्मला कपिलाhttps://www.blogger.com/profile/11155122415530356473noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5955233793822175648.post-20928611691707951442011-02-27T17:44:11.866-08:002011-02-27T17:44:11.866-08:00सही बात !!सही बात !!पद्म सिंहhttp://padmsingh.wordpress.comnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5955233793822175648.post-36117209298087514172011-02-27T14:15:12.755-08:002011-02-27T14:15:12.755-08:00बात तो सही ही कही है..फिर इतना डरना क्या..हो सकता ...बात तो सही ही कही है..फिर इतना डरना क्या..हो सकता है सब न ऐसे हों तो अपवाद कहाँ नहीं होते. निश्चिंत रहें...सीख लेने वालों को अच्छी सीख...Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.com